झील तो आपने काफी देखी ही होंगी, पर क्या आपने कभी किसी ऐसी झील को देखा है जिसमें “शेषनाग” निवास करते हैं और लोगों को दर्शन देते है? यदि नहीं, तो आज हम बता रहें हैं ऐसी ही एक झील के बारे में जिसमें शेषनाग का निवास स्थान है और वे लोगों को दर्शन भी देते हैं। आप जानते ही होंगे कि हाल ही में बाबा बर्फानी यानि अमरनाथ की यात्रा शुरू हो चुकी है और इस यात्रा में कदम-कदम पर परेशानियां आती ही हैं, पर बाबा भोलेनाथ के भक्त सभी प्रकार की कठनाइयों को पार कर इस यात्रा में आगे बढ़ते ही रहते हैं।
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अमरनाथ की इस दुर्गम यात्रा में मार्ग में ही एक झील भी पड़ती है। इस झील का बहुत महत्त्व बताया जाता है। इस झील का नाम “शेषनाग झील” है। चंदनवाड़ी नामक स्थान से इस झील की दूरी 16 किमी है। यह झील सर्दियों में पूरी तरह से जम जाती है। इस झील के चारों और कई ग्लेशियर तथा 7 पहाड़ियां हैं। यह नीले पानी की झील लिद्दर नदी से निकली है और यह 3658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील का नाम शेषनाग क्यों पड़ा, इस बारे में पौराणिक कथाओं में बताया जाता है। कथा मिलती है जब भगवान शिव मां पर्वती को अमर कथा को सुनाने के लिए इस स्थान पर लाये थे, तो इससे पहले ही उन्होंने अपने साथ के सभी सांपो को “अनंतनाग” में, चंद्रमा को “चंदनवाड़ी’ तथा नंदी को “पहलगांव” में छोड़ा था और इसी क्रम में भगवान शिव ने अपने शेषनाग को इस झील में छोड़ दिया था। इसी से इस झील का नाम “शेषनाग झील” पड़ गया था। माना जाता है कि आज भी शेषनाग देवता 24 घंटे में एक बार इस झील से बाहर आकर सभी को दर्शन देते हैं।