आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समलैंगिकता पर बड़ा बयान देकर एक नई सोच को सामने लेकर आने का काम किया है। एक निजी मीडिया हाउस के प्रोग्राम में आरएसएस के ज्वाइंट सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अगर होमोसेक्शुअलिटी को लेकर किसी के जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तो होमोसेक्शुअलिटी पर किसी को सजा नहीं देनी चाहिए। ये कोई क्राइम नहीं है क्योंकि ये किसी के जीवन पर असर नहीं डालता है। होसबोले ने ये भी कहा कि बहुत जल्द महिलाएं भी आरएसएस की शाखाओं में हिस्सा ले सकेंगी। संघ का ये बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बड़ा असर डाल सकता है, हालांकि संघ में ऐसी बातों पर कभी चर्चा नहीं होती है।
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जानिए होमोसेक्शुअलिटी की भारत में स्थिती-
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत उन 70 देशों में शामिल है जहां होमोसेक्शुअलिटी क्रिमिनल ऑफेंस माना जाता है। संविधान में धारा 377 के अनुसार होमोसेक्शुअलिटी को अननेचुरल सेक्स की कैटेगरी में रखा गया है। जिसमें 10 साल तक की सजा रखी गई है। साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस धारा को रद्द कर दिया था, जबकि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को कायम रखा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में अपने इस फैसले को रिव्यू के लिए क्यूरेटिन पिटीशन कॉन्स्टिट्यूशन बेंच को सौंप दिया था।
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संघ के इस बड़े बयान के ये हैं मायने-
इस बयान से ये उम्मीद जागती है कि केंद्र सरकार धारा 377 को खत्म करने का फैसला ले सकती है। यूपीए की सरकार के दौरान नेता शशि थरूर ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाने का प्रयास किया था। जिसमें समलैंगिकता को डिक्रिमिनलाइज करने को कहा था। जिसका बीजेपी सरकार ने जोरों से विरोध किया था, लेकिन बीजेपी नेता अरुण जेटली ने समलैंगिकता को क्राइम की कैटेगरी से हटाने के पक्ष में थे। जेटली का कहना था कि जब लाखों की आवाम ये चाहती है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
जल्द महिलाएं बनेंगी संघ का हिस्सा-
होसबोले ने बयान में ये भी कहा कि अगले वर्ष से महिलाएं भी संघ शाखाओं और फील्ड एक्टिविटीज में हिस्सा ले सकती हैं। हालांकि महिलाएं संघ की कई सामाजिक एक्टिविटीज से जुड़ी हुई हैं, लेकिन उन्हें शाखाओं में जाने की अनुमति नहीं हैं। इसके साथ ही महिलाओं के लिए आरएसएस में राष्ट्रीय प्रचारिका समिति भी बनाई जाएगी।