डरावनी और रहस्यमयी है उत्तराखंड की रूपकुंड झील

-

चारों ओर से प्राकृतिक वादियों से घिरे उत्तराखंड को ईश्वर की धरती या देवभूमि के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां हिंदुओं की आस्था से जुड़े चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। ईश्वर की इस देव भूमि में रूपकुंड का ज़िक्र लंबे अर्से से होता रहा है। वहां मिलने वाले नरकंकाल लोगों के लिए हमेशा से हैरानी का कारण रहे हैं। इन नर कंकालों के मिलने की वजह से रूपकुंड कई दशकों से चर्चा का विषय बना हुआ है।

Video Source: https://www.youtube.com

रूपकुंड के आस-पास मिलने वाले नर कंकालों के राज़ से पर्दा उठाने की कोशिशें काफी हुई हैं, लेकिन आज भी यह रहस्य ही बने हुए हैं। ये कंकाल बिखरे पड़े हैं। बर्फीली झील के आस-पास और बेहद दुर्गम इलाके में होने की वजह से यहां पहुंचना भी आसान नहीं है। ये इलाका हिमालय के सबसे खतरनाक क्षेत्र में शुमार होता है और काफी ऊंचाई पर है। इस पहाड़ की ऊंचाई सुमद्र तल से लगभग 16 हज़ार 200 फीट के आस-पास है।

RoopKundImage Source: http://blog.lokrang.org/

जानकारों का मानना है कि बर्फीली झील 24 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित ज्यूंरागली पहाड़ी के नीचे मौजूद है। इस झील का आकार अंडे के समान है और इसकी गोलाई लगभग 150 फीट है। पूरा इलाका लगभग 500 फीट के दायरे में फैला है। यहीं से निकली है एक साफ पानी की धारा जिसे लोग रूपगंगा जलधारा के नाम से जानते हैं। इस रहस्यमय झील से बर्फ की परत गर्मी और बारिश को मिलाकर साल में केवल तीन-चार महीने के लिए हटती है और जब यह हटती है तभी खुलते हैं इस गुप्त वादियों के अंदर छिपे रहस्य…

RoopKund1Image Source: http://4.bp.blogspot.com/

हिमालय की बर्फीली वादियों के बीच है रूपकुंड। हिमालय के इस दुर्गम इलाके में 600 से 700 साल पुराने इंसानी कंकाल मिले थे। ये कंकाल तब मिले जब वन विभाग की टीम सन् 1942-43 में वहां विशेष प्रकार के जंगली फूल की तलाश में पहुंची, लेकिन वहां कंकाल देख कर दंग रह गई। इसके बाद शुरू हुई कंकालों की पड़ताल। इसके बाद तो कई वैज्ञानिक दलों ने इन इलाकों का दौर किया और यहां पाए जाने वाले नर कंकालों के वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए ये यहां से ले जाए भी गए हैं।

RoopKund2Image Source: http://4.bp.blogspot.com/

एक अनुमान के मुताबिक इन नर कंकालों की तादाद 500 के आस-पास बताई जा रही है। लोगों में इन कंकालों के बारे में जानने का कौतूहल फिर ज़ोर मारने लगा। सन् 1957 में वैज्ञानिकों का एक दल इस इलाके के मुआयने के लिए गया तो अपने साथ वहां के कंकालों को ले आया। ये सिलसिला लगातार 1961 तक चलता रहा। कुछ इंसानी कंकाल अमेरिका के प्रसिद्ध मानव शरीर विशेषज्ञ डॉ. गिफन के पास भेजे गए। विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग विधि से इन कंकालों की उम्र का पता लगाया। जो नतीजे आए उसके मुताबिक ये कंकाल 600 साल पुराने समझ में आए, लेकिन ये आए कहां से इस पर आज भी रहस्य बरकरार है…

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments