इस मंदिर में बहती है घी की नदी

-

हमारा देश भारत जिसे कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था, ऐसा कहते हैं कि प्राचीन काल में भारत में दूध, घी की नदियां बहती थी। वैसे पुराने समय में घी शब्द का प्रयोग ही प्राचीन भारत की उस समृद्धि को व्यक्त करने के लिए किया जाता था जहां तक विश्व का कोई देश आधुनिक युग में भी शायद नहीं पहुंच पाया है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं जहां आज भी घी की नदी बहती है।

Ghee Fastival1Image Source: https://c1.staticflickr.com

जी हां, यह बिल्कुल सच है। गुजरात, जिसके लिए कहा जाता है कि यहां दूध की नदियां बहती हैं उसी गुजरात में साल में एक रात ऐसी आती है जब दूध की ही नहीं बल्कि घी की नदियां बहती हैं। गुजरात के गांधीनगर में एक छोटा सा गांव है रूपाल, जहां हर साल पल्ली उत्सव मनाया जाता है। इसमें मां वरदायिनी की पूजा की जाती है।

Ghee Festival2Image Source: https://c1.staticflickr.com

पल्ली जो सिर्फ एक प्रकार का लकड़ी का ढांचा है, बताया जाता है कि इसमें 5 ज्योत प्रज्ज्वलित होती है और इस पर घी का अभिषेक किया जाता है। वैसे तो सामान्य तौर पर माता की ज्योत में घी का ही अर्पण किया जाता है, लेकिन पल्ली उत्सव में जिस तरह घी का चढ़ावा चढ़ता है वो अपने आप में अनोखा और देखने लायक होता है। यहां हर साल करीब 5 लाख किलो शुद्ध घी माता पर अर्पित किया जाता है और माता पर घी चढ़ाकर लोग अपनी मन्नत मांगते हैं।

Ghee Festival3Image Source: https://c1.staticflickr.com

हर साल नवरात्रि के आखिरी दिन मां वरदायिनी की रथ यात्रा निकाली जाती है, जो पूरे गांव में घूमती है। इसमें करीब 12 लाख लोग मां के दर्शन करते हैं और बाल्टियां और बैरल भर घी माता पर अर्पित करते हैं। बताया जाता है कि इस गांव में 27 चौराहे हैं। जहां बड़े-बड़े बर्तनों, बैरल में घी भरकर रखा जाता है। जैसे ही पल्ली वहां आती है लोग इस घी से माता की पल्ली पर अभिषेक करते हैं। अभिषेक करते ही यह घी नीचे जमीन पर गिर जाता है, जिस पर इस गांव के ही एक खास समुदाय का हक रहता है। इस समुदाय के लोग इस घी को इकट्ठा कर इसे पूरे साल इस्तेमाल करते हैं।

Ghee Festival5Image Source: http://i9.dainikbhaskar.com/

बताया जाता है कि इस चढ़ावे को चढ़ाते वक्त लोग इस घी से नहा जाते हैं, लेकिन आश्चर्य में डालने वाली बात यह है कि इस घी का दाग कभी भी कपड़ों पर नहीं पड़ता। जमीन पर पड़े इस घी पर कभी कोई जानवर मुंह तक नहीं मारता। ये बातें आपको जितनी हैरान कर रही हैं उससे ज्यादा हैरान करने वाली यहां आने वाले भक्तों की मन्नतों की कहानियां हैं। कहते हैं यहां आने वाले भक्तों की हर मन्नत पूरी होती है।

Ghee Festival4Image Source: https://c1.staticflickr.com

रुपाल गांव की वरदायिनी माता की यह कहानी पांडवों से जुड़ी हुई है। यहां जलती ये पांच ज्योत पांडवों को ही दर्शाती है। बताया जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास में यहीं आकर रुके थे और अपने शस्त्र छुपाने के लिए उन्होंने वरदायिनी मां का आह्वान किया था। घी का अभिषेक करने पर वरदायिनी मां यहां उत्पन्न हुईं और उन्होंने पांडवों को वरदान दिया। पांडवों ने तब संकल्प किया था कि हर नवरात्रि की 9वीं रात को वरदायिनी माता के रथ को निकालकर उसे घी का अभिषेक करवाएंगे, तभी से यह परंपरा लगातार चली आ रही है।
इस परंपरा से लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं या नहीं इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इस आस्था से यह जरूर साफ हो जाता है कि भले ही एक रात के लिए ही सही पर भारत में एक गांव ऐसा है जिसमें घी की नदियां बहती हैं।

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments