दुनिया में कई प्रकार की छोटी और सस्ती कारें हैं पर अपने देश में नैनो कार को सबसे सस्ती कारों में शुमार किया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कार के बारे में बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ नैनो कार से सस्ती है बल्कि उससे छोटी भी है। जी हां इस कार को बनाने में सिर्फ 90 हजार का खर्च आया है और इसका निर्माण एक साधारण दुकानदार ने किया है।
किसने बनाई है यह कार –
इस कार निर्माण यूपी के इलाहबाद के मलाक राज एरिया में रहने वाले विमल किशोर नामक व्यक्ति ने किया है। आप को जानकार हैरानी होगी की विमल किशोर कोई इंजीनियर या मैकेनिक नहीं है बल्कि एक दुकानदार हैं। विमल की उम्र अभी सिर्फ 38 वर्ष की है। इस कार में 2 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। विमल का कहना है की उन्होंने यह कार विकलांग और वृद्ध व्यक्तियों की परेशानियों को दूर करने के लिए बनाई है।
क्या हैं कार की खासियत –
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1- इस कार में साउंड सिस्टम और हूटर लगा है।
2- इसमें 2 लोग बैठ सकते हैं।
3- इस कार का नाम “लैलो” है।
4- इसको बनाने में सिर्फ 90 हजार का खर्च आया है।
5- इसकी बैटरी सोलर ऊर्जा से चार्ज होती है।
कहां से आया “लैलो” का आइडिया –
असल में विमल खुद भी विकलांग हैं, विमल कहते हैं की मै खुद विकलांग हूं इसलिए मैं दूसरे विकलांगों का दर्द अच्छे से समझ सकता हूं। विमल को कहीं भी आने-जाने में बहुत परेशानी होती थी। तब उनको आइडिया आया की क्यों न ऐसी कोई कार बनाई जाए जिसको विकलांग भी चला सकें और इसके बाद विमल ने उस आइडिया पर काम करना शुरु कर दिया।
3 महीने में बना डाली थी कार –
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विमल ने दिसंबर 2015 में इस कार को बनाना शुरू किया था और 3 महीने में ही इस कार को बना डाला। उन्होंने बताया की इस कार के लिए कुछ पार्ट्स इलाहबाद में ही मिल गए थे और बाकि के पार्ट्स दिल्ली से मंगवाए गए थे। 2008 में विमल कुमार ने महात्मा गांधी का सबसे छोटा चरखा भी बनाया था। इसलिए उनका नाम तब लिम्का बुक में भी दर्ज किया गया था। इसके अलावा विमल ने 2007 में सबसे छोटी पतंग और चरखी भी बनाई थी जिसकी सराहना पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डा. एपीजे अब्दुल कलाम भी कर चुके हैं।