लंकापति रावण की स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने की बात सर्वविदित है, इसी क्रम में जानते हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां रावण बनाना चाहता था स्वर्ग जाने की सीढ़ी। जी हां, मंदिर तो आपने वैसे बहुत से देखें ही होंगे, पर आज हम आपको जिस मंदिर से रूबरू करा रहें हैं, वह भगवान शिव के अलावा रावण से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर अति प्राचीन और ऐतिहासिक है। इस मंदिर में 12 महीने शिव भक्तों का जमघट लगा रहता है। आइए अब आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में।
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हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से ऐसे देवालय है, जो अपनी विशेषताओं और प्राचीनता के लिए लोगों में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं मंदिरों से एक है “पौड़ीवाला शिव मंदिर“, यह मंदिर वैसे तो भगवान शिव को समर्पित है, पर इस मंदिर का नाता लंकापति रावण से भी जुड़ा हुआ है।
इसी के चलते यह मंदिर आज अपनी ऐतिहासिक छवि लिए हुए है। आपको हम बता दें कि यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। सिरमौर जिले के नाहन मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पौड़ीवाल नामक स्थान पर यह शिव मंदिर बना हुआ है, इसलिए इसको “पौड़ीवाला शिव मंदिर” भी कहा जाता है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर ही रावण ने भगवान शिव की कठोर उपासना कर उनको प्रसन्न किया था तथा अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था। भगवान शिव ने रावण को स्वर्ग के लिए पांच पौड़ी (सीढ़ी) बनाने को कहा था और यह वचन दिया था कि यदि वह पांच पौड़ी बना देता है तो वह अमर हो जाएगा।
इसके लिए रावण के पास में एक दिन का समय था और उसने पहली पौड़ी हरिद्वार में बनाई थी, जिसको “हर की पौड़ी” कहा जाता है। दूसरी पौड़ी हिमाचल के पौड़ीवाला में बनाई। तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव में तथा चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई थी। अब रावण को अंतिम पौड़ी बनानी थी, जो वह इस मंदिर में बना रहा था, पर रात ज्यादा होने पर रावण को नींद आ गई।
उसकी आंख प्रातःकाल खुली। इस प्रकार से रावण की अमरत्व की इच्छा महज कल्पना बन कर रह गई। माना जाता है कि इस पोडिवाल शिव मंदिर के शिवलिंग में भगवान शिव साक्षात् वास करते हैं इसलिए यहां शिव भक्त भारी संख्या में आते हैं तथा महादेव के दर्शन कर लाभ उठाते हैं।