मकबरा, जहां की जाती है जूतों से जियारत

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देखा जाए तो अपना देश विभिन्न धर्म और संस्कृतियों का देश है और अपने यहां प्रत्येक धर्म का यथोचित सम्मान भी किया जाता है। इस बात का उदाहरण है अपने देश के मकबरे। अपने यहां ताजमहल से लेकर हुमांयू के मकबरे में सभी धर्मों के लोग जाते रहें हैं और कई इस प्रकार के मकबरे भी हैं जहां पर लोग चादर या फूल आदि चढ़ा कर जियारत भी करते हैं, परंतु आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसे मकबरे के बारे में जहां पर लोग चादर या फूलों से नहीं बल्कि जूतों से जियारत की रस्म अदा करते हैं। आइये जानते हैं इस मकबरे के बारे में।

People visit bholu syed tomb itawah wearing shoes 1Image Source:

यह मकबरा है उत्तर प्रदेश में, यहां पर इटावा से करीब 3 किमी की दूरी पर इटावा-बरेली राजमार्ग पर यह मकबरा स्थित है। इस मकबरे को भोलू सैय्यद का मकबरा कहा जाता है। इस मकबरे पर लोग जूतों से जियारत क्यों करते हैं, इसके पीछे एक ऐतिहासिक घटना बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि 500 साल पहले एक बार इटावा के बादशाह ने अटेरी राज्य के राजा पर चढ़ाई कर दी थी और इस युद्ध के बाद में इटावा के बादशाह को यह पता लगा कि इस युद्ध के पीछे उसके ही दरबारी भोलू सैय्यद की सोची समझी साजिश थी। इसके बाद में बादशाह ने यह ऐलान किया कि भोलू सैय्यद को तब तक जूतों से पीटा जाये जब तक की यह मर न जाए। सैय्यद की मौत के बाद में उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा ने जन्म ले लिया और यह परंपरा लगातार 500 सालों से चली आ रही है। कुछ लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपने परिवार तथा अपनी सुरक्षा के लिए भोलू सैय्यद की कब्र पर कम से कम 5 जूते मारना जरुरी है। ऐसा करने के बाद यात्री अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए जियारत करते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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