वैसे तो चीन को नास्तिक देश माना जाता हैं, पर चीन में भी भगवान शिव तथा देवी पार्वती की उपासना होती हैं। जहां तक भारत की बात हैं तो यहां भगवान शिव को मुख्य देवता माना जाता हैं। इन्हीं को सृस्टिविनाशक भी माना जाता हैं। भगवान शंकर को सबसे बड़ा और प्राचीनतम देवता भी कहा जाता हैं इसलिए इनको आदिदेव या महादेव के नाम संबोधित करते हैं। भगवान शंकर की उपासना के बहुत से सबूत संपूर्ण पृथ्वी पर स्थान स्थान पर मिले हैं। कहीं आज भी उनकी उपासना जारी हैं तो कहीं प्राचीन काल में शिव उपासना होती थी। इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं चीन के बारे में। असल में चीन में भी शिव उपासना के सबूत मिले हैं। आइये आपको इस बारे में अब विस्तार से बताते हैं।
चीन में मिले शिव उपासना के सबूत –
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चीन में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर देवी पार्वती तथा भगवान शिव के मंदिर हैं। इन मंदिरों में आज भी चीन के लोग प्रतिदिन पूजा पाठ करते देखें जाते हैं। चीन के लोगों ने अपनी ही भाषा के अनुसार भगवान शंकर तथा देवी पार्वती के नाम भी रखें हुए हैं। ये लोग अपने द्वारा दिए गए नामों से ही भगवान शिव को पूजते हैं। इस बात को संजीव सान्याल ने बताया हैं। आपको बता दें कि संजीव सान्याल ने “दि लैड ऑफ सेवन रिवर” , “वैली ऑफ़ वडस” नामक किताबें भी लिखी हैं जो की उनके शोध पर आधारित हैं।
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संजीव ने बताया कि उनको अपने शोध के दौरान शिव मंदिर मिले थे जो करीब 800 ईस्वी में निर्मित किये गए थे। बता दें कि जापान, उत्तर कोरिया तथा चीन में भगवान शंकर के वाहन नंदी की भी उपासना की जाती हैं। इन लोगों की मान्यता हैं कि व्यक्ति की मौत के बाद उसकी आत्मा को ले जाने के लिए नंदी देवता ही आते हैं। खैर जो भी हो। ये सभी सबूत इस और इशारा करते हैं कि भगवान शिव की उपासना पृथ्वी के हर देश में पूर्वकाल से होती रही हैं।
माना जा रहा हैं कि ऐसा शायद इसलिए हैं क्योंकि जब प्राचीन काल में व्यक्ति व्यापार करने या किसी अन्य कारण से अलग देश में जाते थे तो वहां उनकी संस्कृति भी अपने साथ ले आते थे।