झूले आपने बहुत देखें होंगे, पर क्या कभी आपने “मौत का झूला” देखा है? यदि नहीं, तो आइए आज हम आपको बताते हैं मौत के उस झूले के बारे में जिस पर झूलने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे झूले के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, जहां पर लोग मौत से बचने के लिए इस झूले पर झूलते हैं, पर झूलते समय यदि व्यक्ति इस पर से गिर जाता है, तो यह बहुत ही अपशगुन माना जाता है, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
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मौत का यह झूला मध्यप्रदेश के बमोरी ब्लॉक में पटेलिया नामक स्थान पर बनाया जाता है। यहां हम आपको बता दें कि इस झूले का निर्माण होली के त्यौहार के लिए आयोजित एक मेले में किया जाता है। इस झूले के निर्माण के लिए एक मचान बनाई जाती है तथा इसके ऊपर से लकड़ी के एक डंडे में रस्सी बांध कर लटका दी जाती है। इस रस्सी को एक व्यक्ति पकड़ कर लटक जाता है तथा अन्य लोग मचान के ऊपर से डंडे को पांच बार जोरों से चारों और घुमाते हैं। इस प्रकार से यह झूला काम करता है।
असल में इस आदिवासी क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है और वह सही नहीं हो पाता है, तो वह यहां के देवता “गल वागजी” से मन्नत मांगता है तथा झूले के इस स्थान पर धागा बांध आता है और जब होली पर इस झूले का निर्माण किया जाता है, तो उस व्यक्ति को इस पर झुलाया जाता है। माना जाता है कि यदि व्यक्ति झूल कर सुरक्षित नीचे आ जाता है, तो उसने अपनी बीमारी पर जीत हासिल कर ली है और यदि वह झूलने के दौरान गिर जाता है, तो यह बहुत अशुभ माना जाता है। इस प्रकार से साल भर में मन्नत मांगने वाले जितने भी लोग यहां धागा बांधते हैं, वे सभी इस मौत के झूले पर झूलते हैं। यह परंपरा काफी पुरानी बताई जाती है तथा हर वर्ष होली के त्यौहार के दौरान यह परंपरा निभाई जाती है।