एक और जहां लोगों को खुले में शौच न जाने के प्रति जागरुक करने की उद्देश्य से सरकार द्वाका कई तरह की योजनाएं व जागरुकता अभियान चलाए जा रहें हैं, वहीं देश में एक ऐसा गांव भी हैं जहां खुले में शौच जाने वाले व्यक्ति की पेशी पंचायत में की जाती हैं। सरकार के स्वच्छता अभियान का प्रभाव लोगों पर बहुत अच्छे से पड़ा हैं। अब लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक होने लगे हैं और अपने घर ही नहीं बल्कि अपने आसपास भी स्वच्छता का ध्यान रखने लगें हैं।
इसी सोच की मिसाल पेश करता हैं देश का एक ऐसा गांव जहां खुले में शौच जाना बिल्कुल बैन हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता पकड़ा जाता हैं तो गांव की चौपाल में उसकी पेशी की जाती हैं। इस गांव का नाम दोंदेखुर्द हैं। यह छत्तीसगढ़ के रायपुर में हैं। इस गांव के लोग न सिर्फ अपने गांव को स्वच्छ रखते हैं बल्कि आसपास के गावों में भी स्वच्छता के लिए श्रमदान करते देखे जाते हैं।
आपको बता दें की दोंदेखुर्द गांव में कनाड़ा से आई एक टीम सर्वे भी कर चुकी हैं और वे लोग यहां की साफ़ सफाई को देख कर हैरान रह गए। यह सब, गांव के लोगों की इच्छाशक्ति तथा अपने गांव में स्वच्छता लाने की इच्छा के चलते हुआ हैं।
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गांव को स्वच्छ बनाने की शुरुआत गांव वालों ने 27 नवम्बर 2016 से की थी और इसके तहत उन्होंने प्रत्येक रविवार को 2 घंटे का श्रमदान करना शुरू कर दिया। इसी के चलते अब यह गांव स्वच्छता के मामले में काफी प्रसिद्ध हो रहा हैं। गांव में रविवार को श्रमदान करने वाले लोगों में गांव के प्रधान से लेकर गांव की महिलाएं तथा बच्चे सभी कार्य करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गांव के नियम के विरुद्ध जाकर खुले में शौच करता हैं तो गांव के प्रधान अम्मी रेड्डी तथा अन्य पंचायत सदस्य चौपाल लगाकर उस व्यक्ति को सभी के सामने पेश करते हैं।
अब तक इस प्रकार की पंचायत लगाकर 2 लोगों को अर्थदंड की सजा सुनाई जा चुकी हैं। गांव के लोगों ने सबसे पहले चौराहे तथा गांव के तालाबों को साफ़ किया, पर उन्होंने यह महसूस किया कि जब तक प्रत्येक घर में शौचालय नहीं होगा तब तक पूरी तरह से सफाई नहीं हो पायेगी। इस काम के लिए गांववासियों ने पैसे उधार लेकर अपने घरों में शौचालय बनाया। अब यह गांव पूरी तरह स्वच्छ हैं।