हमारे देश भारत को कई ऐतिहासिक चीजें विरासत के रूप में मिली हैं। इनमें से कुछ जगहें लोगों के बीच अपनी पुरानी यादों को बयां करती हुई आज भी खड़ी हैं, तो कुछ गुमनामी के अंधेरों में रहकर कई रहस्यों के साथ आज भी दबी पड़ी हैं। ये आश्चर्यचकित करने के साथ-साथ डराती भी हैं। इन जगहों में छिपे रहस्यों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। ये विज्ञान के लिए भी एक चुनौती बन चुकी हैं।
रहस्यमयी बनी इन चीजों को भले ही पौराणिक मान्यता से या प्रकृति की अनूठी रचना से जोड़ा जाता हो पर इनकी गहराई में छुपे रहस्यों को आज तक कोई नहीं भांप पाया है। ये आज एक रहस्य बनकर सभी को चुनौती दे रही हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में…
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पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते पर बना यम का द्वार-
चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में दारचेन से 30 मिनट की दूरी पर बना यम का द्वार पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। इसे हिंदू मान्यता के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है। तिब्बती लोग इसे चोरटेन कांग नग्यी के नाम से जानते हैं, जिसका मतलब होता है दो पैर वाले स्तूप। इस प्रकार का बना यह द्वार रहस्यों से इसलिए घिरा हुआ है क्योंकि आज तक इसके पीछे के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। ना ही इसके स्थापित होने के कोई प्रमाण ही मिले हैं कि यह मंदिर नुमा द्वार किसने और कब बनाया है। ढेरों शोध हुए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। ऐसा कहा जाता है कि यहां रात में रुकने वाला जीवित नहीं रह पाता।
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भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन के रहस्य-
भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन जहां पर अनेक श्रृद्धालु पहुंचते हैं भगवान के दर्शन करने के लिए। यह मंदिर भी एक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि यहां पर शाम के बाद उड़ते परिंदे भी इस स्थान को छोड़ देते हैं, क्योंकि माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण व राधा आज भी आधी रात के बाद रास रचाते हैं। रास के बाद निधिवन परिसर में स्थापित रंग महल में शयन करते हैं। रंग महल में आज भी प्रसाद के तौर पर माखन मिश्री रोजाना रखा जाता है।
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मान्यता के अनुसार यहां रात के समय कोई नहीं रहता है। इंसान छोड़िए, पशु-पक्षी भी नहीं। ऐसा बरसों से लोग देखते आए हैं, लेकिन रहस्य के पीछे का सच धार्मिक मान्यताओं के सामने छुप सा गया है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात में रुक जाता है तो वह तमाम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
आज भी जिंदा भटक रहे हैं अश्वत्थामा-
महाभारत का वो पात्र जो अपने पिता गुरू द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने निकला और इसके चलते अश्वत्थामा को उनकी एक चूक भारी पड़ी। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। ऐसा माना जाता है कि लगभग पांच हजार वर्षों का इतिहास आज भी अपनी कहानी बयां कर भटक रहा है। जो मप्र बुरहानपुर के अलावा अन्य शहरों में आज भी देखने को मिलता है।
माना जाता है कि मप्र के ही जबलपुर शहर के गौरीघाट (नर्मदा नदी) के किनारे भी अश्वत्थामा के भटकने का उल्लेख मिलता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार कभी-कभी वे अपने मस्तक के घाव से बहते खून को रोकने के लिए हल्दी और तेल की मांग भी करते हैं। इस संबंध में हालांकि स्पष्ट और प्रमाणिक आज तक कुछ भी नहीं मिला है। यहां के स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं।
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किमी दूर असीरगढ़ का किला में आज भी अश्वत्थामा को होने के अहसास कराते है। बताया जाता है कि इस किले में स्थित शिव मंदिर में अश्वत्थामा आज भी पूजा करने आते हैं। वे बताते हैं कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई। इसके अलावा कहा जाता है कि अश्वत्थामा पूजा से पहले किले में स्थित तालाब में नहाते भी हैं।
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समुद्र के नीचे श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका-
गुजरात में बसी द्वारिका भी किसी रहस्य से कम नहीं है। कहा जाता है कि आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं, लेकिन प्रमाण आज तक नहीं मिल सका कि यह क्या है। विज्ञान इसे महाभारत कालीन निर्माण नहीं मानता। विज्ञानिकों ने लगातार इसके लिए कई शोध किए हैं पर इसका कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
द्वारिका की खोज के लिए भारतीय नौसेना ने भी मदद की। जिसके दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छटे पत्थर मिले और यहां से लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए, लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा नहीं जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। आज भी यहां वैज्ञानिक स्कूबा डायविंग के जरिए समंदर की गहराइयों में कैद इस रहस्य को सुलझाने में लगे हैं।
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बंगाल में भूतों की रहस्यमयी रोशनी-
प.बंगाल का वो दलदली इलाका जहां पर कई तरह की घटनाएं सुनने को मिली हैं। जिसके विषय में आज तक सही जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर यहां होने वाली घटना के राज क्या है। क्यों होती है इस जगह पर रहस्यमयी मौतें।
स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां पर उन मछुआरों की आत्माएं हैं जो मछली पकड़ते वक्त किसी वजह से मर गए थे। वे लोग रोशनी के द्वारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लोग इन्हें भूतों की रोशनी भी कहते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन मछुआरों को यह रोशनी दिखती है वे या तो रास्ता भटक जाते हैं या ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाते। इन दलदले क्षेत्रों से कई मछुआरों की लाशें भी मिली हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं कि भूतों के चलते ऐसा हुआ। वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि दलदली क्षेत्रों में अक्सर मीथेन गैस बनती है और वे किसी तत्व के संपर्क में आने से रोशनी पैदा करती हैं।
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लेह-लद्दाख का मैग्नेटिक हिल-
श्रीनगर नेशनल हाईवे पर स्थित यह जगह लेह से 50 किमी दूर है। समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मैग्नेटिक हिल को ‘ग्रैविटी हिल’ भी कहा जाता है। जो यहां पर आने वाले पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। इस पहाड़ी की खासियत है कि यहां से गुजरने वाली हर कार खुद-ब-खुद रास्ते पर जमी रहती है। सामान्य भाषा में कहें तो आमतौर पर पहाड़ी रास्तों में हम गाड़ी गियर में खड़ी करते हैं, लेकिन यहां अगर आप अपनी गाड़ी न्यूट्रल में भी खड़ा कर दें तो भी गाड़ी घाटी से नीचे नहीं फिसलेगी।
हालांकि यह लोगों का भ्रम है कि पहाड़ी के ऊपर गाड़ियां घूमने लगती हैं, लेकिन वैज्ञानिक रूप से इसके पीछे जो कारण छिपा है उसके मुताबिक यह विशुद्ध रूप से ‘ऑप्टिकल इफेक्ट’ के चलते होता है, जो पहाड़ी की वास्तविक और विशिष्ट बनावट के चलते उत्पन्न होता है।