दुनिया में बहुत से पेड़ हैं और इनकी अपनी अलग-अलग खासियत है, पर आज हम आपको जिस पेड़ के बारे में जानकारी दे रहें हैं, वह एक ऐसा पेड़ है जिसके बिना शादी ही नहीं होती हैं। इसके अलावा यह पेड़ कई बीमारियों को भी सही करता है। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में जानकारी दे रहें हैं जिसके बिना शादियां नहीं हो पाती हैं यानि शादी के कर्मकांड में इस पेड़ का होना बहुत आवश्यक होता है, तो आइए आपको बताते हैं इस पेड़ के बारे में।
हमारे भारत में एक राज्य है “छत्तीसगढ़”, यहां पर लोग पेड़ों को देव स्वरुप मानते हैं तथा अलग-अलग अवसरों पर भिन्न-भिन्न पेड़ों का पूजन आदि भी करते हैं, पर जब बात शादी की आती है तो इस संस्कार में यहां के लोग “गूलर” के पेड़ का प्रयोग विवाह संस्कार में करते हैं। छत्तीसगढ़ में गूलर के पेड़ की लकड़ी से ही दूल्हे तथा दुल्हन के बैठने की पटरी बनाई जाती है तथा मंडप भी गूलर के पेड़ की लकड़ी तथा पत्तों से ही सजाया जाता है।
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यदि किसी स्थान पर गूलर की लकड़ी नहीं मिल पाती हैं, तब इस पेड़ के टुकड़े से ही काम चलाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह विशेष पेड़ होता है तथा इस पर भगवान गणेश का वास होता है। आपको हम बता दें कि छत्तीसगढ़ में गूलर के पेड़ को “डूमर” का पेड़ कहा जाता है। गूलर के इस पेड़ का उपयोग कई बीमारियों में भी होता है।
आपको जानकारी दे दें कि इसका फल बढ़ें हुए पित्त को सही करता है, वहीं यह फल कब्ज से भी मुक्ति दिलाता है। इसके पत्तों के उपयोग से खूनी बवासीर तक ठीक हो जाती है। हाथ-पैर की स्किन फटने से होने वाले दर्द से हमें गूलर के पेड़ का दूध ही बचाता है। यदि किसी के मुंह में छाले है या दांतों से खून आता है तो इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से तेजी से आराम पड़ता है। इस प्रकार से यह गूलर का पेड़ न सिर्फ विवाह के कर्मकांड में बहुत उपयोगी है, बल्कि कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं में भी इसका अच्छा प्रयोग होता है।