नैनीताल के बारे सभी लोग जानते ही हैं, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि नैनीताल का अस्तित्व “मां नैना देवी” के ही आशीर्वाद से टिका है, इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं मां नैना देवी तथा नैनीताल के संबंध में वे तथ्य जो बहुत ही कम लोग जानते हैं। जी हां, यह सही बात है, मां नैनी देवी की ही कृपा का नतीजा है कि आज भी नैनीताल सुरक्षित है, बहुत से लोग तो यह भी कहते हैं कि नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर ही पड़ा है।
खैर, पुराने समय से अब तक का नैनीताल की जनसंख्या वाला ग्राफ देखने से यह साफ हो जाता है कि इस स्थान पर बहुत तेजी से जनसंख्या बढ़ी है, पर यह भी सत्य है कि जितनी तेजी से जनसंख्या यहां बढ़ी है, उतनी ही तेजी से खतरे भी बढ़े है।
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हर वर्ष बहुत ज्यादा मात्रा में वर्षा होना यहां आम हो गया है, साथ ही भूस्खलन का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ा है। इसके अलावा कई बार यहां बादल फटने की घटनाएं भी सामने आ चुकी है। इन सभी घटनाओं के कारण नैनीताल को कुछ हानि तो उठानी पड़ी है, पर नैनीताल में ही स्थित मां नैना देवी की कृपा से अभी तक नैनीताल में कोई भी बड़ी घटना नहीं हुई है, इसलिए आज भी बहुत से लोग नैना देवी के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं।
नैना देवी का यह प्रसिद्ध मंदिर नैनीताल में ही सरोवर के किनारे स्थित है और आप इस मंदिर में आने के लिए हल्द्वानी से तल्लीताल बस स्टैंड पर आते हैं तथा यहां से महज 2 किमी दूर ही सरोवर के किनारे स्थित मां नैना देवी के मंदिर आसानी से पहुंच जाते हैं। देवी सती के शरीर को जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से काट डाला था, तो उसके टुकड़े जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वह शक्तिपीठ कहलाए, नैना देवी के इस मंदिर के पास बने सरोवर के बारे में मान्यता यह है कि यहां पर मां सती की बाईं आंख गिरी थी और वह इस सरोवर के रूप में परिणीत हो गई थी।