आज के समय में भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं जो की देश का माहौल खराब करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते और ऐसे मामलों में रही सही कसर देश का मीडिया पूरी कर देता है, पर वास्तविकता यह है कि आज भी देश में ऐसे बहुत से समुदाय हैं जिनमें किसी प्रकार के कट्टरपंथी विचारों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि ऐसे लोग सदैव मानवीयता को ही अपना प्रथम धर्म मान कर चलते हैं। आज जो खबर हम आपको बता रहें हैं वह हाल ही में घटित हुई है, हालांकि यह खबर अपने मूल में तो दुखद है, पर इसको पढ़कर आपको कहीं न कहीं सुकून जरूर मिलेगा, आइए जानते हैं इस खबर को।
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यह खबर है पश्चिम बंगाल के मालदा के शेखपुरा गांव की। इस गांव में “बिस्वजीत रजक” नामक एक युवक की मृत्यु हो गई। रजक का परिवार बेहद गरीब था। उसकी मां का कहना है कि “हमारे पास रजक का अंतिम संस्कार कराने के लिए पैसे नहीं थे, हम लोग सारी रात शव के पास रोते रहें।
हमें समझ नहीं आ रहा था कि हमें क्या करना चाहिए”, इस बात की खबर सुबह होते ही गांव में फैल गई और जब यह खबर मस्जिद तक पहुंची, तो गांव के मुस्लिमों ने तय किया कि वह इस हिंदू युवक का अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार करवाएंगे। इस कार्य में मस्जिद के इमाम साहब सहित अन्य बहुत से मुस्लिम लोगों ने पैसा इकट्ठा किया और रजक के अंतिम संस्कार का सभी प्रबंध किया।
मुस्लिम लोगों ने हिंदू पंडित को बुलाकर हिंदू रीति-रिवाजों से इस अंतिम संस्कार को करवाया। यह देखने में एक सामान्य घटना है, पर इसके मूल में जो संदेश छिपा है वह ही असल सत्य की ओर मानव को इंगित करता है। हम लोगों को उस असल सत्य को जानकार अपने जीवन में उतारना चाहिए, वही हमें सही मार्ग पर ले जाएगा।