देखा जाए तो अपने देश का एक कड़वा सच यह भी है कि यहां पर कई रेड लाइट एरिया हैं। देश में महिलाओं के उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, कई प्रकार की योजनायें चल रही हैं, कल “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” के अवसर पर हर बार की तरह एक बार फिर महिलाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गईं, पर सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि इतना सब होने के बावजूद महिलाओं को इस प्रकार के कामों को करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे देश में महिलाओं की सहायता के लिए चल रही सभी सरकारी और गैरसरकारी योजनाओं पर एक प्रश्न चिन्ह निश्चित रूप से लग रहा है। बहुत से लोगों के मन में इस प्रकार के प्रश्न रहते हैं कि देश के इन रेड लाइट एरियाज में रहने वाली महिलाओं की जिंदगी आखिर कैसी है। ये इस प्रकार के क्षेत्र में आखिर क्यों उतरी हैं और ये किस प्रकार से अपने बच्चों और परिवार के साथ वक्त बिताती हैं? आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इन सारे प्रश्नों का उत्तर देने जा रहे हैं।
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कहां है देश का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया-
कोलकाता के पश्चिमी हिस्से में बसा स्थान है “सोनागाछी”। सोनागाछी नामक यह स्थान अपने देश का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया माना जाता है। एक सर्वे के अनुसार यहां पर 14 हजार से भी ज्यादा महिलायें इस पेशे में हैं। इनमें काफी संख्या में नाबालिग लड़कियां भी हैं। प्रत्येक साल यहां पर करीब 1 हज़ार नई महिलाओं की बढ़ोत्तरी होती है।
किस प्रकार से आती हैं इस प्रोफेशन में महिलायें-
इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के इस पेशे में होने से यह प्रश्न उठता ही है कि महिलायें आखिर किस प्रकार से इस पेशे को चुनती हैं। इस विषय पर हुए कई प्रकार के सर्वे और महिलाओं के अनुभव जानने के बाद यह बात सामने आई कि कुछ महिलायें इस पेशे में “ट्रैफिकिंग” की वजह से आती हैं तो बहुत सी महिलायें स्वयं ही इस काम को अपनी मर्ज़ी से चुनती हैं। ये महिलायें इस पेशे में क्यों और कैसे आईं, इस प्रश्न का जवाब हम आपको बता रहे हैं उन्हीं महिलाओं की जुबानी।
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1- यहां काम करने वाली बैशाखी बताती हैं कि “मैं पहले घरों में नौकरानी का काम करती थी। तब सिर्फ 1 से 1.5 हजार रुपए महीना ही कमा पाती थी, लेकिन अब 16 से 18 हजार रुपर हर महीने आसानी से कमा लेती हूं”। इससे स्पष्ट होता है कि ये महिलायें अपनी आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए इस प्रकार के कार्य को चुनती हैं।
2- दास नाम की एक महिला ने कहा कि “मेरे दोनों लड़कों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और अब एक लड़का नौकरी भी करने लगा है। यदि मैं घर पर ही रहती तो क्या उनकी फीस दे पाती”? दूसरी ओर वीणा नाम की एक महिला कहती है कि “मैं शादी के बाद 7 साल तक अपने पति के साथ रही, पर वह शराबी था और मुझे रोज़ मारता था। मैं अपनी लड़की के भविष्य को देखते हुए उसके साथ रही पर अब मैं अपने पति को छोड़ चुकी हूं और इस पेशे में आ कर खुश हूं”।
देखा जाए तो इन महिलाओं ने अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करने और बेहतर भविष्य देने के लिए इस पेशे को चुना है। इन सब स्थितियों को देखते हुए बस यही कहा जा सकता है कि अपने को अलहदा और आधुनिक समाज के तमगे से सजाने वाले लोगों के लिए वर्तमान में अपनी सोच को इसके बारे में तब्दील करना ही बेहतर होगा।