देखा जाए तो हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग प्राचीन काल से रहे हैं जिन्होंने अपने हौंसले और लगन के चलते अकेले ही इस प्रकार के कुछ कार्य किये हैं जिनसे दूसरे लोगों को लंबे समय तक फ़ायदा होता है। कुछ समय पहले की ही बात करें तो बिहार राज्य के दशरथ मांझी का नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है। मांझी ने 22 वर्ष के कठोर परिश्रम और सिर्फ एक छेनी, हथौड़े की सहायता से एक पहाड़ को काट कर सड़क का निर्माण कर दिया था। इनके ऊपर बॉलीवुड में फिल्म भी बन चुकी है। आज हम आपको एक ऐसी ही शख्सियत से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अकेले ही तीन बांधों का निर्माण कर पांच गांवों को पानी की किल्लत से मुक्ति दिलाई है। यह शख्सियत हैं सिमोन उरांव। सिमोन उरांव झारखंड के रहने वाले हैं और वर्तमान में इनकी उम्र 83 वर्ष की है।
अपने इस कार्य को सिमोन उरांव ने आज से 5 साल पहले शुरू किया था और अपनी मेहनत से उन्होंने तीन बांधों का निर्माण कर डाला जिसके चलते पांच गांवों में पानी की किल्लत ख़त्म हो चुकी है। इस कार्य के लिए इस वर्ष सिमोन बाबा को पद्मश्री पुरस्कार के भी नवाजा जा चुका है। सिमोन बाबा ने जब अपने और आस-पास के गांवों को पानी की किल्लत से तरसते देखा तो उनसे नहीं रहा गया और उन्होंने अकेले की बांध का निर्माण करने का फैसला ले लिया।
Image Source: http://s4.scoopwhoop.com/
उस समय सिमोन बाबा के पास न तो पैसे थे और न ही तकनीक। बस थी तो सिर्फ जिद, गांव के खेतों तक पानी पहुंचाने की। उस समय सिमोन बाबा ने एक नया नारा दिया “जमीन से लड़ो, मनुष्य से नहीं”।
अब साल में उगाई जाती है तीन फसलें-
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बाबा के बनाये बांधों ने गांव वालों के “अच्छे दिन” ला दिये हैं। किसान साल भर में तीन फसलें उसी जमीन पर उगा रहे हैं जिस पर कभी कुछ भी नहीं उगा पाते थे। बाबा जब अकेले कुदाल लेकर निकलते थे तब लोग उन पर हंसते थे, पर धीरे-धीरे गांव वालों का साथ मिलता गया और लोग भी बाबा के साथ जुटते गए। लोगों ने छोटी-छोटी नहरों को मिला कर तीन बांध बना डाले और वर्तमान में इन्हीं से करीब 5000 फ़ीट लम्बी नहर निकाल कर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा बाबा लोगों का देशी जड़ी बूटियों से इलाज भी करते हैं और गांव के कई प्रकार के विवाद भी सुलझाते हैं।