गणतंत्र दिवस की परेड में किए गए बड़े बदलाव

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गणतंत्र दिवस की परेड वर्षों से देश की शक्ति, शौर्य और साहस का प्रतीक रही है। हम भी बचपन से ही इस परेड को देखकर गौरव महसूस करते हैं कि वाकई हम भी एक शक्ति सम्पन्न देश में रहते हैं। पिछले वर्षों से एक ही कार्यक्रम प्रणाली में आयोजित होने वाली इस परेड में इस बार कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। इस बार परेड की समय अवधि को घटा दिया गया है। साथ ही इसमें शामिल होने वाली कई झांकियों में भी बदलाव किया गया है।

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हर वर्ष देश के गौरव का प्रतीक गणतंत्र दिवस की परेड इस बार भी अपने निश्चित कार्यक्रम के तहत ही आयोजित की जाएगी। पहले हम इस परेड को देखने के लिए टीवी के आगे बैठ जाया करते थे और पूरी परेड होने तक देश की विभिन्न झांकियों और सेना के दस्तों को देखकर बेहद खुश हुआ करते थे, लेकिन इस बार गणतंत्र दिवस की परेड को देखकर महसूस होने वाला भाव जल्द ही समाप्त हो जाएगा क्योंकि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने वालों ने इसमें कुछ बड़े बदलाव किए हैं।

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जानकारी के अनुसार इस बार यह परेड अपनी पूर्व की अवधि के अनुसार नहीं हो सकेगी। इस बार गणतंत्र दिवस की परेड की समय अवधि को घटा कर 92 मिनट कर दिया गया है, जबकि पहले यह परेड 120 मिनट में सम्पन्न की जाती थी।

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इस बार एक साथ होंगी सारी मिसाइलें-
गणतंत्र दिवस की समय अवधि कम होने के कारण ही इस बार कंपोजिट दस्ते परेड में शामिल होंगे। इस बार सभी टैंक और बख्तर बंद गाड़ियों को साथ ही रखा जाएगा। इसके अलावा अलग-अलग आने वाली मिसाइलों को भी एक साथ ही परेड में शामिल किया जाएगा।

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फ्रांस की सेना का दस्ता भी होगा शामिल-
इस बार परेड में फ्रांस का दस्ता भी शामिल होगा। फ्रांस की सेना और उनकी सेना का बैंड भी परेड में भाग लेंगे। यह दस्ता भी अपने देश की सेना का नेतृत्व करेगा।

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ऊंटों की जगह सेना के कुत्तों को किया जाएगा शामिल-
परेड में हर बार सीमा सुरक्षा बलों के ऊंटों को शामिल किया जाता है, परंतु इस बार सीमा सुरक्षा बलों के ऊंटों की जगह परेड में सेना में रहने वाले टोही कुत्तों को शामिल किया जाएगा।

साथ ही इस बार 29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट में भी बदलाव कर तबला और सितार को भारत के वाद्य यंत्रों के रूप में परेड में शामिल किया जाएगा। इस बार से पहले की धुनें ब्रिटिश काल के आर्मी की ही चल रही थी।

कौन-कौन से दस्ते नहीं होंगे शामिल-
इस बार की परेड में कुछ दस्तों को हिस्सा नहीं बनाया गया है। इस बार केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल को मार्चिंग दस्ते में नहीं रखा गया है।

इसके अलावा स्कूली छात्रों और झांकियों को परेड में नहीं दिखाया जाएगा। स्कूली छात्रों और झांकियों के लिए लाल किले में तीन दिवसीय कार्यक्रम अलग से रखा गया है।

इस बार की परेड में बदलाव लोगों को काफी हैरान कर देगा, क्योंकि कई बार तो लोग इस अवसर पर अपने ही राज्य की या किसी विशेष झांकी को देखने के लिए ही कार्यक्रम को देखते थे। अब झांकियों के लिए कार्यक्रम अलग कर देने से हो सकता है कि लोग कुछ परेशान हों। इस तरह के बदलाव का निर्णय केवल समय अवधि के चलते ही लिया गया है।

vikas Arya
vikas Aryahttp://wahgazab.com
समाचार पत्र पंजाब केसरी में पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। कई वर्षो से पत्रकारिता जगत में सामाजिक कुरीतियों और देश दुनिया के मुख्य विषयों पर लेखों के द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा हूं। अब मेरा प्रयास है कि मैं ऑनलाइन मीडिया पर भी अपने लेखों से लोगों में नई सोच और नई चेतना का संचार कर सकूं।

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