शराबियों को महज 40 मिनट में जन्नत पहुंचाती है ये ‘मयखाना एक्सप्रेस’

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बिहार में पूरी तरह से शराबबंदी कर एक तरफ जहां नीतीश सरकार अपने इस फैसले पर वाहवाही लूटने में बिजी है, वहीं दूसरी ओर आपने भी सुना होगा कि शराब के नशे के आदी लोग अलग-अलग तरिके से नशा करने में जुटे रहते हैं। सरकार को लगता है कि उसने ऐसा करके देश की सबसे बड़ी समस्या शराबखोरी को अपने राज्य में प्रतिबंधित कर काफी बड़ा काम कर दिया है, लेकिन क्या आपको लगता है कि जिसको एक बार शराब की लत लग जाए वह इसके बगैर रह सकता है। नहीं ना, हमें भी नहीं लगता। शराबबंदी को लेकर सरकार चाहे कितना भी आगे चले लेकिन जिसको ये लत है वह अपनी इस प्यास को बुझाने के लिए कोई ना कोई तरीका तलाश ही लेता है।

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ऐसे में आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार के शराबियों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए एक काफी बढ़ियां तरीका तलाश लिया है। उस तरीके के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। वो एक ऐसा तरीका है जिसमें सिर्फ 40 मिनट के अंदर ही ऐसे लोग जन्नत पहुंच जाएंगे। यहां हमारा मतलब जन्नत से ऊपर वाली जन्नत नहीं, बल्कि शराब को पीने के बाद अपनी ही दुनिया में खो जाने से है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘मयखाना एक्सप्रेस’ की। आपको ये नाम थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा क्योंकि आज तक कोई ऐसी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं है, लेकिन हमने एक छपरा-मऊ पैसेंजर ट्रेन (55017) को ‘मयखाना एक्सप्रेस’ का नाम दिया है जो शराबियों को महज 40 मिनट में उनकी जन्नत तक पहुंचाने का काम करती है।

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यह ट्रेन बलिया के सुरईमनपुर स्टेशन पर शाम 6 बजे आती है और उस वक्त का नजारा भी अलग ही देखने वाला होता है। इस ट्रेन से काफी भारी संख्या में बिहार से आए यात्री उतरते हैं और अपनी जिंदगी यानी शराब के ठेकों की ओर रुख करते हैं। जिसके बाद दूसरी दिशा से ठीक 40 मिनट बाद छपरा पैसेंजर (ट्रेन नंबर 55132) आती है। जिसमें यह यात्री सवार होकर बिहार को लौटते हैं। ट्रेन के बीच के ये 40 मिनट शराबियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होते। यह वो वक्त होता है जब उन्हें जन्नत का अहसास होता है। वह शराब को अपने हलक से नीचे उतारते हैं और साथ ही एक दो बोतल का कोटा रख दोबारा वापसी का रास्ता उसी ट्रेन से नाप लेते हैं। कई लोग तो शराब को कोल्डड्रिंक की बोतल में भरकर बिहार ले जाते हैं।

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इसमें ज्यादातर लोग गौतमस्थान, छपरा और रिबिलगंज जिलों के हैं, जो बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के जिलों में आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कइयों ने तो इसके लिए इस मयखाना एक्सप्रेस के मंथली पास तक बनवा रखे हैं क्योंकि वह रोजाना टिकट में लाइन लगकर अपना वक्त खोटा करने से बचना चाहते हैं। इस बात की पुष्टि नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे कार्यालय भी कर चुका है।

उन्होंने अपने रिकॉर्ड में इस बात की पुष्टि की है कि अप्रैल माह में सिवान से बलिया आने वाले यात्रियों के मंथली पास वालों की संख्या में 31 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं सुरमईपुर और छपरा से भी मंथली पास वालों में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है।

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