प्रमाण – विश्वभर में होती रही है आदिदेव शिव की पूजा

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भगवान शिव को बहुत से नामों से लोग पुकारते हैं। कोई इनको महादेव कहता है तो कोई इनको भगवान शंकर कहता है, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। असल में भगवान शिव के पूजन के प्रमाण दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्राचीन और पुराने समय से मिलते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव का स्थान हिन्दू धर्म में सबसे ऊंचा माना गया है। आज हम आपको बता रहें हैं भगवान शिव के पूजन के विश्वभर में मिले प्रमाणों के बारे में, तो आइए जानते हैं इस बारे में हमाती इस पोस्ट में।

1 – रोमन काल (Roman times) –

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वैसे तो श्रीलंका और भारत में भगवान शिव के पूजे जाने के कई प्रमाण मिलते हैं, पर हम आपको बता दें कि Babylon नामक एक प्राचीन शहर की खुदाई में शिवलिंग मिले थे और यह शहर रोमनकाल का है।

2 – आयरलैंड (Ireland) –

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बहुत से लोग इस बात को मानते हैं कि कभी आयरलैंड एक हिन्दू देश था और यहां पर भगवान शिव की उपासना की जाती थी। आज भी आयरलैंड के Tara Sits नामक स्थान पर शिवलिंग के आकार का एक पत्थर मौजूद है। जिसको “Lia Fail” नाम से लोग जानते हैं। इस पत्थर के बारे में एक संत ने कहा था कि यह शिवरूप है। माना जाता है यह उपासना किया जाने वाला एक पत्थर है और 500 A.D तक आइरिश सम्राट इसका पूजन किया करते थे।

3 – वियतनाम(Vietnam) –

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वियतनाम को भी एक ऐसा देश माना जाता है जहां पहले हिंदू संस्कृति रहा करती थी। वर्तमान में भी वियतनाम में स्थान-स्थान पर शिवलिंग मिलना इस बात को और भी ज्यादा पुख्ता करता है।

विशेष जानकारी (special information) –

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एक शिवलिंग के तीन भाग होते हैं “आधार, संचालन तथा लिंग”, नीचे के भाग को आधार कहा जाता है और इसको ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है। इससे ऊपर का वृत्ताकार भाग को संचालन कहा जाता है और इसको विष्णु स्वरूप माना जाता है तथा ऊपर का भाग लिंग कहा जाता है जिसको शिव स्वरूप माना जाता है। इस प्रकार से शिवलिंग पूजन करने वाले व्यक्ति को तीनों ही प्रधान देवों की कृपा मिलती है। आपको हम दें कि शिवलिंग 5 प्रकार के होते हैं।

1 – देवलिंग।
2 – असुपलिंग।
3 – अरशालिंगा।
4 – मनुशालिंगा।
5 – स्वयंभुलिंग।

स्वामी विवेकानद का शिवलिंग पूजन के पक्ष में कहना था कि शिवलिंग ब्रह्म स्वरूप है, इसलिए ही उसका पूजन किया जाता है। इस प्रकार से देखा जाए तो शिवलिंग की उपासना पद्धति प्राचीनकाल से विश्व के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित रही है, वहीं दूसरी ओर शिव एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ “कल्याणकारी” होता है। अतः भगवान शिव का हिंदी भाषा में सीधा-सीधा अर्थ निकालें तो वह “कल्याणकारी देव” बनता है। शायद यही कारण है कि पूरे विश्व ने शिव तत्व को आत्मसात किया है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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