क्या कभी फूलों से लिखी मन्नत पूरी होती है, शायद नहीं। मनोकामना चाहें फूलों से लिख लीजिये या अन्य किसी वस्तु से। इससे उसके पूरा होने का क्या कारण, पर देश में एक ऐसा मंदिर है जहां भक्तों द्वारा फूलों से लिखी उनकी हर मुराद पूरी होती है। आज आपको इस मंदिर के बारे में ही जानकारी दे रहे है। इस मंदिर का नाम “कुसुम्भी देवी मन्दिर” है और यह देवी परा शक्ति को समर्पित मंदिर है। इस स्थान पर एक मनोहरी सरोवर भी है जहां भक्त स्नान करते हैं। मान्यता है कि यह मंदिर रामायण काल का हैं और इसकी स्थापना भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश ने की थी। यह दिव्य मंदिर लखनऊ कानपुर राज्यमार्ग पर नवाब गंज कस्बे से कुछ दूरी पर स्थित है।
प्राकृतिक वातावरण से भरपूर –
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इस स्थान की यात्रा कर लोगों को प्राकृतिक लाभ भी होता है। चारों और से यह स्थान हरियाली से घिरा हुआ तथा मनोहारी है। इस स्थान के आसपास के जंगल लोगों में एडवेंचर के भाव को बढ़ाते हैं। मंदिर के सरोवर में बहुत से कछुवे तथा मछलियां हैं जो लोगों के लिए दर्शनीय हैं। इस सरोवर में भक्त इन जीवों को आटे की गोलियां खिलाकर पुण्य कमाते हैं। इस सरोवर के किनारे ही लोग भोजन बनाकर प्रसाद के रूप में खाते हैं। नवरात्रों में इस स्थान पर काफी भीड़ होती है। उस समय भक्त दूर दूर से यहां देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं।
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स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस मंदिर की प्रतिमा की स्थापना भगवान श्रीराम के पुत्रों लव-कुश ने की थी। यह प्रतिमा देवी सीता को उस समय मिली थी जब श्रीराम ने उनका परित्याग कर दिया था। उस समय देवी सीता गर्भवती थी। देवी सीता ने ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में दोनों बच्चों को जन्म दिया तथा शिक्षा दिलाई। वर्तमान में इस मंदिर में लोग काली चूड़ियां चढ़ाते हैं तथा फूलों से अपनी मन्नत लिखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।