प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि “अयोध्या” को अपना ननिहाल मानते हैं कोरियाई लोग, जानिए क्यों

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प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि “अयोध्या” को तो आप जानते ही होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि कोरिया देश के लाखों लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं? यदि नहीं, तो आज हम आपको इस संबंध के बारे में ही अपनी इस पोस्ट में जानकारी दे रहें हैं। असल में इस बात को भारत में बहुत कम लोग ही जानते हैं, पर कोरिया के लाखों लोग अयोध्या के साथ उनके संबंध की बात को काफी समय से जानते हैं और वे श्रीराम की इस जन्मभूमि के प्रति अपनी बहुत आस्था भी रखते हैं, आइए अब आपको हम विस्तार से बताते हैं इस बारे में।

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आपको हम बता दें कि आज से लगभग 2 हजार वर्ष पहले अयोध्या की एक राजकुमारी की शादी कोरिया में हुई थी और उसी संबंध के आधार पर कोरिया के लोग भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या के प्रति अपनी आस्था रखते हैं और प्रतिवर्ष अयोध्या भी उनका स्वागत करती है। इस शादी के बारे में हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह शादी आज से करीब 2 हजार वर्ष पूर्व हुई थी, जब अयोध्या की एक राजकुमारी कोरिया की यात्रा पर गई थी। इस राजकुमारी को कोरिया के लोग लीजेंडरी क्वीन Heo Hwang-ok के नाम से पुकारते हैं।

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आज भी कोरिया के किमहये शहर में इस राजकुमारी की प्रतिमा स्थित है। राजकुमारी Heo जब भारत से कोरिया की यात्रा पर गई थीं तब वह अपनी नाव के बैलेंस को बनाने के लिए एक पत्थर ले गई थी। जब राजकुमारी कोरिया पहुंची, तो उनकी शादी वहां के राजा King Suro से हो गई। इस प्रकार से वे King Suro की पहली पत्नी बनी। यही कारण है कि वर्तमान में भी 70 लाख से भी ज्यादा कोरियाई लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं और प्रतिवर्ष यहां क्वीन Heo Hwang-ok को श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं।

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कोरियाई विश्वद्यालय के प्रोफेसर Byung Mo Kim का कहना है कि “क्वीन Heo भारत के अयोध्या की बेटी थी, इस हिसाब से अयोध्या की भूमि हमारे लिए मां के जैसी ही हुई, आज 2 तिहाई कोरिया के लोग इसी जन्मभूमि के वंशज हैं, और प्रोफ़ेसर कहते हैं कि राजकुमारी का लाया हुआ वह जुड़वा मछली का पत्थर भारत और अयोध्या के प्राचीन संबंधों का जीता जागता उदाहरण है।”, इस प्रकार से भारत और कोरिया का संबंध न सिर्फ आज व्यापार का है बल्कि अनुवांशिक भी है और इसीलिए कोरिया के लोग अयोध्या को अपना ननिहाल तथा मातृभूमि समझते हैं और यहां आते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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