बात करना हमारे जीवन का एक हिस्सा है पर आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे है जहां बोलना ही मना है। सामान्य तौर पर सभी एक दुसरे से अपने विचार सांझे करने के लिए बात करते ही हैं क्योंकि इसके बिना जीवन के काम पूरे नहीं हो सकते हैं पर एक देश ऐसा भी है जहां बोलने तक की मनाही है। आज आपको इस स्थान के बारे में जानकारी देने जा रहे है। जरा विचार कीजिये कि यदि आपको घंटा भर चुप रहने को कह दिया जाए तो आपको कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में यदि आपको पूरे दिनभर चुप रहना पड़े और कहीं भी घूमने न दिया जाए तब आपको कितना कष्टदायक अनुभव होगा। आज हम आपको जिस स्थान के बारे में जानकारी दे रहें हैं वहां के लोग वर्षभर में एक दिन शांति के लिए निकालते हैं। यह कोई मज़बूरी नहीं बल्कि एक परम्परा है। इस परम्परा में शहर के सभी लोग हिस्सा लेते हैं।
इंडोनेशिया देश की है यह परंपरा
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इंडोनेशिया का नाम तो आपने सुना ही होगा। यहां के “बाली” शहर को भी आप जानते ही होंगे। यह शहर अपनी ख़ूबसूरती के लिए बहुत फेमस है। इस शहर में ही प्रतिवर्ष एक दिन के लिए एक परंपरा का आयोजन किया जाता है। इस परंपरा को लोग “न्येपी” कहते हैं। इसको “डे ऑफ साइलेंस” भी कहते हैं। जानकर हैरानी होगी कि यह एक हिंदू त्यौहार है, जिसको “इसाकावरसा” के दिन बाली शहर में सभी लोग मनाते हैं। इस दिन बाली में राष्ट्रीय छुट्टी भी दी जाती है और इस दिन लोग शांति से अपने घर में ध्यान का अभ्यास करते हैं। इस दिन कोई भी किसी से बात नहीं करता है और सभी सेवायें तथा बाजार भी बंद रहते हैं।
एक दूसरे को देते हैं नववर्ष की बधाई
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इस दिन सभी लोग शांति से गुजारते हैं तथा ध्यान करते हैं। बहुत से लोग इस दिन पूरे दिन भर व्रत भी रखते हैं। जब पूरा दिन बीत जाता है तो उससे अगले दिन बाली शहर में “द किसिंग रिचुअल” पर्व मनाया जाता है। जिसमें सभी लोग एक दूसरे को चूम कर नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन ही भारत में ‘उगादी’ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सबसे ज्यादा प्रतिबंध आग के जलाने पर होता है इसलिए कोई व्यक्ति अपने घर में आग नहीं जलाता है। इस के अलावा किसी अन्य स्थान की यात्रा करना अथवा किसी से बात करने पर भी प्रतिबंध रहता है।