आजकल अयोध्या के राम मंदिर यानि श्रीराम जन्मभूमि के बारे में काफी ख़बरें पढ़ी या सुनी होंगी ही पर क्या आप देवी सीता के असल घर यानि “जानकी मंदिर” के बारे में जानते हैं यदि नहीं तो आज हम आपको देवी सीता के इस मंदिर से आपको रूबरू करा रहें हैं। आपको पता होगा की देवी सीता मिथला नरेश महाराज जनक की पुत्री थी। वर्तमान में यह स्थान नेपाल में है। मान्यता है कि विवाह के पूर्व देवी सीता इस स्थान पर ही निवास करती थी इसलिए इस स्थान को भगवान श्रीराम की ससुराल तथा देवी सीता का मायका भी माना जाता है।
हिन्दू-राजपूत वास्तुकला पर है आधारित –
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जानकी मंदिर हिन्दू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है। यदि आपको नेपाल में राजपूत स्थापत्यशैली को देखना है तो देवी सीता को समर्पित यह मंदिर सबसे ज्यादा अच्छा उद्धरण है। यह राजा जनक के राज्य का ही एक हिस्सा था इसलिए इस स्थान को “जनकपुरधाम” भी कहा जाता है। 4860 वर्ग फ़ीट क्षेत्र में फैले इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि इसका निर्माण 1895 में आरंभ होकर 1911 में पूरा हुआ था। जानकी मंदिर का निर्माण रानी वृषभानु कुमारी ने कराया था जो की मध्य प्रदेश कम टीकमगढ़ की रानी थीं। निर्माण में उस समय 9 लाख रूपए लगे थे इसलिए इसका नाम ‘नौ लखा मंदिर” भी पड़ गया। इस मंदिर में स्थापित देवी सीता की प्रतिमा काफी प्राचीन है बताते हैं कि यह प्रतिमा करीब 1657 के आसपास की है।
यहीं टूटा था “शिव धनुष” –
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इस मंदिर में एक विवाह मंडप भी है। उसका नाम “घनुषा” है। माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन इस मंडप में ही भगवान श्रीराम तथा देवी सीता का विवाह हुआ था। जनकपुरी से 14 किमी की दूरी पर ‘उत्तर धनुषा’ नामक एक स्थान बताया जाता है मान्यता है कि इस स्थान पर ही भगवान राम से शिव धनुष टूटा था। इसी स्थान पर एक पत्थर का टुकड़ा भी रखा हुआ है उसको शिव धनुष का ही हिस्सा माना जाता है। विवाह पंचमी पर बहुत से लोग इस स्थान पर आते हैं। जानकी मंदिर के मंडप के चारों और ‘कोहबर’ निर्मित है जिनमें भगवान श्रीराम तथा उनके तीनों भाइयों की प्रतिमाएं उनकी पत्नियों सहित स्थापित हैं।