वैसे तो आधार कार्ड महज एक पहचान पत्र है, पर क्या आप सोच सकते हैं कि यह आधार कार्ड बिछड़े बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवा सकता है? यदि नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे ही मामले के बारे में बता रहें हैं जिसमें आधार कार्ड की वजह से सालों से बिछड़े बच्चे अपने माता-पिता से मिल पाएं। आज के समय में सरकार भी आधार कार्ड की प्रक्रिया पर काफी जोर दे रही है और आधार कार्ड को सरकार ने कई योजनाओं से जोड़ कर लोगों को आर्थिक लाभ भी पहुंचाया है, इसलिए लोग अब आधार कार्ड बड़ी संख्या में बनवा रहें हैं। आधार कार्ड वैसे तो मात्र परिचय पत्र ही है, पर इसके कारण 3 लापता बच्चे अपने माता-पिता से सालों बाद मिल पाएं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस बारे में…
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यह मामला सामने आया है बेंगलुरु के एक अनाथ आश्रम से। असल में यहां अनाथ बच्चों के आधार कार्ड बनाने की मुहीम चल रही है। इस आधार कार्ड बनाने के कार्य के दौरान ही यह पता लगा कि इस अनाथ आश्रम में 3 ऐसे बच्चे भी हैं जिनके आधार पहले से ही बन चुके हैं। ये बच्चे मंदबुद्धि होने के कारण अपने परिवारों से कई वर्षों से बिछड़े हुए थे और बेंगलुरु के इस अनाथ आश्रम में रह रहें थे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस आश्रम के मोनू नामक बच्चे का जब बायोमैट्रिक रिकॉर्ड किया गया, तो पता लगा कि उसका रिकॉर्ड पहले से मौजूद है और वह मध्य प्रदेश का नरेंद्र नाम का लड़का है। इसके बाद में नरेन्द्र के पिता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि उनका लड़का कई वर्ष पहले अचानक खो गया था और वह तब से लगातार उसकी खोज कर रहें हैं। मोनू को पाकर उसके पिता बहुत खुश हुए। इस आधार कार्ड से मोनू अपने पिता से मिल पाया। इसी प्रकार से इस आश्रम में 2 अन्य बच्चें ओम प्रकाश तथा नीलकांत भी अपने परिवारों से मिल पाएं क्योंकि उनका भी आधार कार्ड का रिकॉर्ड पहले से ही मौजूद था। इस प्रकार से आधार कार्ड ने 3 गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाया।