क्या कभी आपने ऐसा सुना है की सड़क पर घूमने वाले बच्चे अपना अखबार निकालते हैं, यक़ीनन नहीं सुना होगा। आपने अक्सर अपनी गली के बच्चों को सिर्फ भीक मांगते हुए या कंचे होगा या फिर किसी दूकान पर काम करते हुए पर सही बात यह है कोई सही दिशाधारा देने वाला हो तो ये बच्चे बहुत से अच्छे काम भी कर सकते हैं। आज हम आपको ऐसे बच्चों के बारे में ही बता रहें हैं जो की सड़क पर घूमते है या मजदूरी करते हैं पर वर्तमान में अपना अखबार निकालते हैं। ये बच्चे हैं दिल्ली के मजदूर और गरीब तबके के और इनके अखबार का नाम है “बालकनामा” ।
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बालकनामा नामक इस अखबार की बच्चों को प्रेरणा दी है “चेतना” नाम की एक NGO ने और यह NGO ही इस अख़बार के लिए बच्चों की हर तरह की मदद करता है। इस अखाबर में कुल 8 पेज है और इसकी कीमत मात्र 2 रूपए है। इस अखबार के बच्चों का एक ग्रुप बना हुआ है, इस ग्रुप में जो बच्चा 18 साल से बड़ी उम्र का हो जाता है उसको इस अख़बार का सलाहकार बना दिया जाता है। ग्रुप के बच्चे ही इस अखबार के लिए रिपोर्टिंग करते हैं। बच्चों के ग्रुप के कुछ बच्चे साऊथ दिल्ली और कुछ नार्थ दिल्ली में जाते हैं। बालकनामा नामक इस अखबार का नेटवर्क काफी बड़ा हो गया है, इस अखबार के बच्चों के ग्रुप से अब तक 10000 बच्चे जुड़ चुके हैं और इनका यह नेटवर्क अब यूपी, हरियाणा, बिहार तथा दिल्ली तक फ़ैल चुका है। इस अखबार की मुख्य बात यह है की यह सिर्फ बच्चों का ही अखबार है इसलिए इसको बच्चों को दिया जाता है, यदि कोई बच्चा इसको नहीं लेता तो यह अखबार उसको फ्री में ही दे दिया जाता है ताकि भविष्य में वह उसको खरीद सकें।