जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार, जिसे देशद्रोह के आरोप में कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया था उसे कल तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया है। रिहा होते ही कन्हैया कुमार सबसे पहले रात को 10:20 बजे जेएनयू के कैंपस में पहुंचे और वहां के छात्रों को करीबन 40 मिनट तक संबोधित किया। इस दौरान कन्हैया ने देश के संविधान पर पूरा भरोसा दिखाते हुए पीएम से लेकर, केन्द्र सरकार, आरएसएस और बीजेपी पर जमकर वार किये। साथ ही इनको हिटलर से भी जोड़ा।
कन्हैया ने कहा कि जेएनयू विवाद का मामला महज देश के बुनियादी सवालों से ध्यान भटकाने की एक कोशिश है। ‘आजादी’ वाले नारे लगाते हुए यह भी कहा कि ‘तुम जितना दबाओगे हम उतनी मजबूती से खड़े होंगे।’
जेएनयू में अपने दोस्तों और साथियों को दिये गये भाषण में कन्हैया ने जो सबसे अहम बात कही वह यह थी कि- ‘मैं यहां भाषण देने नहीं आया हूं। अत्याचार के खिलाफ जेएनयू ने हमेशा आवाज बुलंद की है और आगे भी जेएनयू ऐसा करता रहेगा, लेकिन जेएनयू के खिलाफ यह एक सुनियोजित हमला किया गया है। हम भारत से आजादी नहीं, भारत में आजादी मांग रहे हैं’। इस दौरान उन्होंने एबीवीपी पर भी हमला करते हुए कहा कि ‘हम एबीवीपी को विपक्षी दल मानते हैं, दुश्मन नहीं’।
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इस दौरान कन्हैया ने पीएम मोदी पर बड़े तीखे वार भी किए। कहा कि देश में चुनावी नारों में कालाधन वापसी के नारे लगाने वाले पीएम मोदी अभी तक कालाधन वापस नहीं ला पाये हैं। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी के एक्टिवनेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री ट्विटर पर जो सत्यमेव जयते कहते हैं वह सत्यमेव जयते किसी एक दल का नहीं है, यह देश का है। इसलिए हम भी सत्यमेव जयते कहते हैं’।
इस दौरान उन्होंने अंबेडकर का भी जिक्र किया। कहा कि जेएनयू और अंबेडकर भारत का निर्माण करना चाहते थे। बाबा साहब ने कहा था कि राजनीतिक लोकतंत्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे में क्या देश के अंदर हमारा आजादी मांगना क्या गलत है? हमें भुखमरी से आजादी चाहिए, भ्रष्टाचार से आजादी चाहिए। हम अपनी नहीं बल्कि सामाजिक लोकतंत्र की बात करते हैं, साथ ही हमें अपने देश के संविधान पर पूरा भरोसा भी है।
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आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पूरे भाषण में कन्हैया लगातार पीएम मोदी पर कटाक्ष करते रहे। उन्होंने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि पीएम मन की बात जरूर करते हैं, लेकिन मन की बात सुनते नहीं हैं। लोग क्या चाहते हैं उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे में हम चाहते हैं कि वह देश के लोगों की मन की बात भी सुनें और मां की बात भी सुनें। नहीं तो ‘ले के रहेंगे आजादी’ वाली नारेबाजी हमारी जारी रहेगी और हम छात्र रोहित वेमुला की लड़ाई के साथ अमन की लड़ाई भी लड़ते रहेंगे।