हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे जाटों ने हरियाणा और नजदीकी राज्यों में जमकर उत्पात मचाया। आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर पूरे हरियाणा को अपने कब्जे में ले लिया। जिसके चलते आम आदमी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, इस आंदोलन से करीब बीस हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इस आंदोलन का उग्र रूप देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने अपनी ओर से जाटों को आश्वासन दे दिया है। जिसके बाद ही आंदोलनकारियों ने वापस लौटने का फैसला किया है।
आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन पर उतरे हरियाणा के जाटों ने वाहनों, रेलवे स्टेशनों, होटलों और मॉल, यहां तक कि पुलिस थानों को भी जमकर नुकसान पहुंचाया। अधिकतर जगहों पर यातायात व्यवस्था ठप रही। आंदोलनकारियों की वजह से राज्य के प्रमुख व्यवसाय केंद्र रोहतक, बहादुरगढ़, झज्जर, हिसार, गोहाना, जींद, कैथल, करनाल और पानीपत के व्यापार व उद्योगों को खासा नुकसान झेलना पड़ा।
एसोचैम के अनुसार इस आंदोलन से हरियाणा को करीब बीस हजार करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। देर रात ही दिल्ली-जयपुर हाईवे को खोला गया। इसके अलावा सभी राजमार्गों को बंद ही रखा गया था।
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वहीं, आंदोलनकारियों ने दिल्ली को भी इस आंदोलन की लपटों में लेने के लिए मुनक नहर पर कब्जा कर लिया था ताकि दिल्लीवासियों को पानी की समस्या हो जाए और सरकार को इस आंदोलन के आगे झुकना पड़े लेकिन देर रात सेना ने ऑपरेशन चलाकर इस नहर पर अपना कब्जा कर लिया। फिलहाल अभी यह नहर सेना के कब्जे में ही है।
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आंदोलन के कारण हरियाणा की सभी यातायात व्यवस्था ठप रही। जिसके चलते कई लोगों को वहीं फंसे रहना पड़ा। वहीं दूसरी ओर सभी रोड ब्लॉक होने के कारण फ्लाइट के टिकट भी आसमान छूने लगे हैं। दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले लोगों को इस फ्लाइट के लिए पचास हजार से एक लाख रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि इन रूटों का किराया अमूमन आठ से दस हजार के बीच ही होता है। यात्रियों को किसी प्रकार की समस्या न हो इस कारण इस रूट पर अतिरिक्त फ्लाइट उतारी गई है। वहीं, एयरवेज कंपनियों का कहना है कि टूर ऑपरेटर ही बढ़ा हुआ किराया वसूल रहे हैं। कंपनियां इस तरह कुछ नहीं कर रही हैं।