हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय द्वारा सरकार को दिया गया 72 घंटे का अल्टीमेटम आज खत्म हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर जाट समुदाय को आरक्षण को लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई सुनिश्चित जवाब नहीं मिल पाया है। जिससे अगर ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि हरियाणा में एक बार फिर आरक्षण की आग फैलने वाली है? एक बार फिर आरक्षण की मांग को लेकर जाट बगावत करने वाले हैं? हंगामे की आशंका को देखते हुए सरकार अपनी तरफ से काफी सतर्क है और कड़ी सुरक्षा भी कर दी गई है। हरियाणा सरकार ने जहां रोहतक के सभी स्कूल और कॉलेज को बंद करवाने का निर्णय लिया है, वहीं पूरे राज्य के सभी जिलों के स्कूल कॉलेजों का बंद रखने का फैसला भी डिप्टी कमिश्नर पर छोड़ दिया गया है।
जिससे ये अंदाजा लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है कि सरकार अभी तक जाटों को आरक्षण देने के मूड में नहीं दिख रही है। जैसा कि आप सबको पता है कि जाटों ने हरियाणा सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। जिसमें उन्होंने 10 फीसदी कोटे की मांग के साथ आंदोलन में जिन जाट नेताओं पर एफआईआर दर्ज की गई थी उसे वापस लेने की मांग की थी। साथ ही कुरूक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी, जिन्होंने जाटों के खिलाफ बयान दिया था उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन अभी तक उनकी किसी मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया है। जिससे एक बार फिर हरियाणा के दहलने के आसार साफ नजर आ रहे हैं।
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बता दें कि बुधवार को विधानसभा में जाट आरक्षण विधेयक भी पेश होना था, जो नहीं हो सका। वजह यह रही कि सीएम खट्टर की मीटिंग में पेश किए गये इस विधेयक पर कई मंत्रियों ने अपनी आपत्ति जताई थी। जिस पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई। बताया ये भी जा रहा है कि हरियाणा सरकार जाट ही नहीं बल्कि जाट सहित 5 जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने के बारे में सोच रही थी। जिसके चलते सरकार ने अब एक ऐसे ड्राफ्ट या प्रारूप को तैयार करने का फैसला लिया है जिसमें सभी की सहमति हो। बहरहाल अभी तक ना ही जाटों का और ना ही किसी अन्य जाति को लेकर बात साफ हो पाई है।
वहीं, बता दें कि जाट आरक्षण का अल्टीमेटम खत्म होने के साथ ही सीएम खट्टर को भी हरियाणा की चिंता सताने लगी है। जिसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का वक्त भी मांगा है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि अगर आज सीएम की पीएम मोदी से मुलाकात होती है तो शायद जाटों के लिए कोई अच्छी खबर आए। वहीं अगर ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा जिस आग में कुछ वक्त पहले जल चुका है, ऐसी ही आग एक बार फिर हरियाणा को जलाने का काम कर सकती है। जिसके लिए कहीं ना कहीं हरियाणा सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।