हर नए साल पर लोग अपने जीवन में कुछ अच्छा काम करने की सोचते हैं, परन्तु यह काम उनके अपने ही जीवन से जुड़ा होता है। वहीं, इंदौर के एक युवक ने किसी जरूरतमंद की मदद कर नए साल पर एक अच्छी शुरूआत की है। पिछले साल से ही यह युवक डाउन सिंड्रोम नामक बीमारी से जन्म से ही पीड़ित एक बच्चे को गोद लेने के लिए संबंधित विभागों के धक्के खा रहा था। युवक की आयु कम होने के चलते उसे बच्चे को गोद लेने की इजाजत नहीं दी जा रही थी। वहीं, नए साल पर बच्चे को गोद लेने के नियमों में बदलाव किए गए और यह युवक भारत का सबसे कम आयु वाला सिंगल फादर बन गया है। अपने इस नेक काम से यह युवक भारत में अन्य युवाओं के लिए भी मिसाल बन गया है।
इंदौर के रहने वाले 28 वर्षीय आदित्य तिवारी भारत के सबसे कम आयु वाले पहले सिंगल फादर बन गए हैं। आदित्य पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। वह सितंबर 2014 से ही एक बच्चे को गोद लेना चाहते थे। बिन्नी नामक जिस बच्चे को वह गोद लेना चाहते थे वह बच्चा जन्म से ही डाउन सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित है। बच्चे को गोद लेने के लिए आदित्य तिवारी ने सभी संबंधित विभागों के चक्कर काटे, परन्तु गोद लेने के नियमों के मुताबिक युवक की आयु 30 वर्ष से कम होने के चलते उन्हें सिंगल फादर बनने के इजाजत नहीं दी गई।
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पिछले साल अगस्त में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी मातृछाया अनाथ आश्रम में पहुंचीं, जहां पर उन्होंने इस मामले पर गौर किया और सभी संबंधित निकायों को इस बच्चे को आदित्य तिवारी को सौंपने के लिए कहा। इसके बाद भी नियमों के बदलाव में करीब पांच महीनों का समय लग गया। जिसके बाद अब उन्हें इस बच्चे को सौंपा गया है।
एक अक्षम बच्चे को गोद लेने के लिए किए गए अपने प्रयास से आदित्य ने देश के सभी युवा वर्ग को सकरात्मक संदेश दिया है। साथ ही वह किसी अक्षम बच्चे को गोद लेने वाले सबसे युवा भारतीय बन गए हैं।