आज मैं देश के कानून से हार गई, नहीं मिला मेरी बेटी को इंसाफ और जीत गए गुनहगार… ये शब्द हमारे नहीं बल्कि उस निर्भया की मां के हैं जो पिछले 3 साल से लगातार देश के कानून को भगवान मानकर इंसाफ की आस लगाए बैठी थी। इस बार हाईकोर्ट का फैसला सुनकर निर्भया के मां-बाप की पथराई आंखें भर आईं और उनकी ये आखिरी आस भी टूट गई। उनकी आंखों में छलकते आंसू बस देश के कानून से यही सवाल पूछते रहे कि अब निर्भया को कैसे मिलेगा इंसाफ ? क्योंकि पूरे देश को दहला कर रख देने वाले दिल्ली के निर्भया गैंगरेप केस की तीसरी बरसी पर निर्भया के मां-बाप को जो कानूनी और सरकारी तोहफा मिला शायद उसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया केस के जुवेनाइल की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 20 दिसंबर को उसकी सजा पूरी हो रही है इसके बाद वह आजाद हो जाएगा। हालांकि, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की एक कमेटी उस पर दो साल तक निगरानी रखेगी। हाईकोर्ट का फैसला सुनकर एक बार फिर निर्भया के मां-बाप कोर्ट के भीतर फूट-फूट कर रोए और कहा, ‘मेरी बेटी के साथ इंसाफ नहीं हुआ।’ उन्होंने कहा कि वो देश के कोर्ट से बड़े नहीं हैं। निर्भया के पिता का कहना है कि वह वकीलों से बात कर सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला लेंगे, जबकि निर्भया की मां ने देश के राजनेताओं से हाथ जोड़कर अपील की है कि अपराध को राजनीति से दूर करिए।
आपको बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया जिसमें कोर्ट की सीमा और मजबूरी साफ दिख रही थी। हाईकोर्ट घटना के वक्त के नाबालिग आरोपी की रिहाई पर रोक नहीं लगा सकता था। कानून के मुताबिक उसे 3 साल ही जेल में रखा जा सकता था। सोचने वाली बात ये है कि कानून और कोर्ट की मजबूरी क्या किसी मां के दर्द के आंसू को रोक सकती है। क्या कोर्ट या फिर समाज निर्भया की मां को समझा पाएगा कि निर्भया के साथ सबसे ज्यादा हैवानियत करने वाले के लिए 3 साल की ही सजा बनी थी। निर्भया गैंगरेप के नाबालिग अपराधी की रिहाई पर अफसोस तो हर कोई जता रहा है, लेकिन ये कोई नहीं बता रहा कि आखिर निर्भया को इंसाफ कैसे मिलेगा।
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पूरा देश अच्छे से जानता है कि नाबालिग बलात्कारी था, हत्यारा था, लेकिन इसके बावजूद उसे आजादी मिल रही है। हमारे देश के सियासतदान जुवेनाइल जस्टिस एक्ट अमेंडमेंट बिल को राज्यसभा से पास नहीं करा पाए। लोकसभा ने 2015 मई में इस बिल को पास कर दिया था। हालांकि राज्यसभा में इस बिल के पास होने के बाद भी शायद निर्भया को इंसाफ नहीं मिल पाता, लेकिन भविष्य के लिए ये दरिंदगी करने वालों के लिए सशक्त कानून जरूर होता। कोर्ट ने निर्भया के सबसे बड़े गुनहगार के खिलाफ जिस तरह का फैसला दिया है उससे तो यही लगता है कि निर्भया को इंसाफ नहीं मिल पाया है। ऐसे में अब निर्भया के साथ हैवानियत की सारी हदों को पार कर देने वाला शख्स आजाद घूमेगा? अगर ऐसा होता है तो दिल्ली की सड़क पर दरिंदगी के फिर से लौटने का खतरा मंडराता रहेगा। एक तरफ जहां कोई मां चैन की नींद नहीं सो पाएगी, तो वहीं कोई बेटी दिल्ली की सड़क पर भयमुक्त और सुरक्षित महसूस नहीं करेगी। मजबूरी पर रोने के बजाय जरूरी है कि कड़े कानून बनाए जाएं। अगर कानून लचर होगा तो इंसाफ हारता रहेगा।