तेलंगाना के महबूबनगर जिले पर बसा पेड्डाकुंता नामक गांव, जो कि ऐसे हाईवे के पास बसा हुआ है जिसे लोग मौत के हाइवे के नाम से जानते है और इसी गांव की आधी से ज्यादा आबादी की महिलाएं विधवाओं का जीवन यापन करने को मजबूर है, क्योंकि इस हाइवे ने कई घरों के लोगों की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है। इसलिए इस गांव को विधवाओं के गांव के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर और दक्षिण भारत की सड़कों को आपस में जोड़ने के लिए यह हाईवे बनाया गया है, लेकिन इसके आसपास कबिलायाई इलाके के लोगों का बसेरा है। इस गांव में 35 झोपड़ी बनी हुई हैं, जिनमें मर्द के नाम पर केवल एक पांच साल का बच्चा ही बचा हुआ है, बाकि पुरूषों की मौत हो चुकी हैं और कुछ जो बचे थें वो इस गांव को छोड़कर जा चुके है। अब इस गांव में सिर्फ महिलाएं हैं। गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमें किसी भी काम के लिए सड़क के उस पार जाना होता है और सड़क को पार करन के लिए जाने वाले लोग वापस ही नहीं आ पाते हैं।
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बताया जाता है कि इस गांव में कुछ समय पहले एक आदमी सरकारी ऑफिस से याचिका देने आया के लिए गांव में आया था। पर जिस समय वो लौट रहा था उस वक्त उसकी हाईवे पर मौत हो गई। तब से लेकर आज तक यह सिलसिला चलता आ रहा है और आज के हालात यह है कि इस गांव में मर्द के नाम पर कोई इंसान ही नहीं बचा है जो अपने परिवार की परवरिश कर सके। आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने के कारण यहां की औरतों को वेश्यावृति का साहारा लेना पड़ रहा है। इतने पिछड़े होने के कारण भी इस ओर सरकार को कोई ध्यान नहीं जा रहा है, जिससे यहां के हालातों को सुधारा जा सके। कभी-कभार मीडिया के द्वारा जब इस गांव का मुद्दा उठाया जाता है तो कुछ मंत्रीगण अपने सहयोगियों को लेकर वादे करने पहुंच जाते है। लेकिन उनके वादे कभी पूरे नहीं हो पाते हैं।
इसके पहले भी मंत्रियों नें अपने वादे में हाईवे बनने से पहले एक सर्विस लेने बनाने की भी बात कही गई थी, जो आज तक पूरी नहीं हुई है।