उज्जैन में आखिर क्यों है पंडे पुरोहितों के उपनाम डंडे वाला और डिब्बे वाला जैसे अजीब, जानें यहां

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आपने कई ऐसे तीर्थ स्थान देखें ही होंगे जहां लोग धार्मिक कर्मकांड कराने के लिए जाते हैं। इनमें से एक ऐसा तीर्थ स्थान भी है जहां के पंडे पुरोहितों का उपनाम डांडेवाला, हाथी वाला व घोड़े वाला जैसे अजीबोगरीब हैं। आज हम आपको एक ऐसे तीर्थ स्थल के बारे में बता रहें हैं जहां पर सभी तरह के धार्मिक कर्मकांड कराने वाले पंडे पुरोहितों के उपनाम ही उनकी पहचान हैं। ये उपनाम काफी अजीब भी हैं। आपको हम बता दें कि इस तीर्थ स्थल में डंडे वाला, हाथी वाला, घोड़े वाला व डिब्बे वाला जैसे नामों यहां के पुरोहितों पहचाने जाते हैं। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं इस तीर्थ स्थल तथा यहां के पंडे पुरोहितों के अजीबो-गरीब उपनाम के पीछे की असल वजह को।

सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस तीर्थ स्थल का नाम “उज्जैन” है। हरिद्वार तथा काशी की ही तरह यहां पर बड़ी संख्या में लोग धार्मिक कर्मकांड कराने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर आने के बाद बस आपको ऑटो वाले से यह बताना होता है कि आपको डंडे वाले के पास जाना है या डिब्बे वाले के पास। बस इसके बाद में आपको ऑटो वाला खुद ही सही जगह पर पंहुचा देता है। इस बात से आप जान ही चुके होंगे कि पंडों के ये सरनेम कितने प्रसिद्ध है। आइए अब आपको बताते हैं इन अजीबो-गरीब सरनेम रखने के पीछे के रहस्य को।

उज्जैनImage Source: 

डब्बावाला –

पं. दिलीप गुरू डब्बावाला उज्जैन के ही पंडित है और वे अपने सरनेम के बारे में बताते हुए कहते हैं कि “सिंधिया स्टेट के समय में छोटी रेलवे लाइन पर चलने वाली रेल में सबसे आगे उनके परिवार के लिए एक खास डब्बा लगा होता था, इसलिए ही उनके परिवार के लोगों का सरनेम डब्बा वाला पड़ गया है।”

आमवाला –

पं. राजेश त्रिवेदी आमवाला अपने सरनेम के बारे में बताते हुए कहते हैं कि “5 पीढ़ी पूर्व उनके परिवार में आम के बड़े-बड़े बगीचे हुआ करते थे इसलिए ही उनका सरनेम यह पड़ गया है।

उज्जैनImage Source: 

नाहरवाला –

पं. विजय शास्त्री नाहरवाला ने अपने सरनेम के बारे में बताते हुए कहा कि “शिप्रा नदी एक तट पर उनके परिवार का बनवाया हुआ एक मंदिर है। जिसमें देवी शिप्रा नाहर यानि शेर पर बैठी हैं, इसलिए ही उनका सरनेम नाहर वाला प्रसिद्ध हो गया है।

आप सभी हम बता दें कि इसी प्रकार से आपको उज्जैन में बहुत से अलग-अलग सरनेम वाले पंडे पुरोहित मिलेंगे। आम वाला, हाथी वाला, डंडे वाला, डब्बे वाला, सिद्धि वाला आदि सरनेम के बहुत से लोग आपको यहां मिल जाएंगे और उनके सरनेम के पीछे ऐसी ही कोई न कोई घटना होती ही है, जैसी आपने ऊपर अभी पढ़ी। यही कारण है ये अजीबो-गरीब सरनेम आज भी इनके परिवार की पहचान बने हुए है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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