भगवान शिव की उपासना सोमवार के दिन ही सबसे ज्यादा की जाती है, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर सोमवार को ही भगवान शिव का दिन क्यों कहा जाता है। यही कारण है कि आज हम आपको इस रहस्य को बता रहें हैं। देखा जाए तो प्रत्येक शिव भक्त हर दिन भगवान शिव को याद करता है, पर सोमवार के दिन शिव भक्त भगवान शिव की उपासना बहुतायात में करते हैं। माना जाता है कि अलग-अलग दिनों में भगवान शिव की उपासना का फल अलग-अलग ही मिलता है। शिव महापुराण में इस बात का उल्लेख भी मिलता है।
आरोग्यंसंपद चैव व्याधीनांशांतिरेव च।
पुष्टिरायुस्तथाभोगोमृतेर्हानिर्यथाक्रमम्॥
इसका अर्थ है कि स्वास्थ्य, आयु, रोगनाश आदि के लिए भगवान शिव की उपासना रविवार से शनिवार तक प्रत्येक दिन करनी चाहिए। इस प्रकार से देखा जाएं, तो हर दिन भगवान शिव की उपासना करने से आपको अपनी इच्छा अनुसार फल मिलते हैं। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर सोमवार को ही भगवान शिव की उपासना क्यों की जाती है, इसलिए आज हम यहां कुछ कारण बता रहें हैं, जिनको मानकर लोग सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने लगें।
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1 – सोम का अर्थ चंद्रमा होता है। चन्द्रमा की क्षमा प्रार्थना के बाद उसकी सभी कमियों को माफ करके भगवान शिव ने जिस प्रकार अपने शीश पर स्थान दिया। उसी प्रकार वे हमारी कमियां क्षमा कर अपने चरणों में स्थान अवश्य देंगे। यह याद करते हुए ही लोगों ने सोमवार को भगवान शिव के पूजन का दिन तय कर लिया।
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2 – सोम का एक अर्थ “उमा सहित शिव” भी होता है। कुछ लोगों का मानना है कि शिव के रहस्य को शक्ति के बिना नहीं जाना जा सकता है, इसलिए शिव के साथ शक्ति की उपासना भी करनी चाहिए। यही कारण है कि कुछ भक्तों ने सोमवार को शिव उपासना का दिन तय कर लिया।
3 – कुछ लोगों का मानना यह भी है कि सोम में ही ॐ समाया है। भगवान शिव क्योंकि ओमकार स्वरूप हैं इसलिए ॐ के अर्थ का विचार करने के लिए भगवान शिव का ध्यान कर उपासना की जाती है। इस कारण ही बहुत लोग सोमवार को ही भगवान शिव का दिन मानकर उनकी उपासना करते हैं।