भगवत गीता को सामान्यतः हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्म ग्रंथ के रूप में मान्यता प्राप्त हैं पर इसके उपदेशों और सार्वजनीन ज्ञान के कारण यह महान पुस्तक आज विश्व धर्म ग्रंथ का स्थान पा चुकी हैं। लाखों लोग प्रतिदिन इसका अध्ययन करते हैं और इसके ज्ञान को अपने जीवन में अनुसरण करते हैं। महात्मा गांधी भी इसको अपनी प्रिय पुस्तक मानते थे और प्रतिदिन इसका पाठ करते थे।
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गीता पर हजारों लोगों की अलग अलग धारनाएं हैं। जिनमें लोगों ने अपने अनुभव के आधार पर गीता के महान ज्ञान को आम जनता के लिए सरल और सुलभ करके लिखा हैं, पर आज हम आपको ऐसी लिखावट के बारे में बता रहें हैं जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं। आज से पहले जिन लोगों ने भी गीता की टिकाएं की हैं उन्होंने सामान्य पेपर यानि कागज पर ही गीता के ज्ञान को उतारा हैं, पर यहां हम आपको जिस महिला के बारे में बता रहें हैं उसने कपड़े पर गीता के ज्ञान को उतारने का असाधारण कार्य किया हैं। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस महिला के बारे में।
इस महिला ने गीता को बुना कपड़े पर –
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आपको बता दें कि गीता के ज्ञान को कपड़े पर बुनने वाली इस महिला का नाम “हेमप्रभा” हैं। यह महिला असम के डिब्रूगढ़ की निवासी हैं। आपको बता दें कि हेमप्रभा नामक यह भारतीय महिला पेशे से एक बुनकर ही हैं। इन्होने गीता की 500 चौपाइयों को कपड़े पर संस्कृत भाषा में बुना हैं। इसके साथ ही इन्होंने गीता के अध्याय को भी अंग्रेजी भाषा में कपड़े पर बुना हैं। हेमप्रभा ने अपने इस कार्य को पिछले वर्ष दिसंबर में प्रारंभ किया था और अभी भी उनका यह कार्य चल रहा हैं।
इस कार्य से पहले “शंकरदेव गुनामाला” के 6 पदों को हेमप्रभा ने 9 महीने लगातार बुनाई कर सिल्क के कपड़े पर बुना हैं। अपने इस कार्य के बारे में हेमप्रभा बताते हुए कहती हैं कि “मैंने पूरे 9 माह तक बुनाई करके शंकरदेव गुनामाला के सभी पदों को कपड़े पर बुना था। मेरे इस कार्य की वजह से पुरे राज्य में मेरी सराहना की गई थी अब मैं भगवत गीता के ज्ञान को कपड़े पर बुन रही हूं।”