जैसा कि आप जानते ही हैं कि शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जिस प्रकार देश में बवाल चल रहा है, उसी प्रकार से मुंबई की प्रसिद्ध दरगाह हाजी अली में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी विवाद पिछले कुछ दिनों से चल रहा है। यह मामला अदालत में भी चला। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। राज्य के महाधिवक्ता ने इस मामले में सरकार के रुख से हाईकोर्ट को अवगत कराया है। इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने दोनों पक्षों को 2 सप्ताह में अपनी दलीलें लिख कर कोर्ट को देने को कहा है।
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पीठ के सामने राज्य महाधिवक्ता ने कहा कि जब तक प्रतिपक्ष यह साबित नहीं कर देता कि मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश से संबंधित प्रतिबंध कुरआन या फिर अन्य हदीसों व धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, तब तक महिलाओं का प्रवेश हाजी अली दरगाह पर होते रहना चाहिए। आपको बता दें कि हाजी अली ट्रस्ट ने महिलाओं के प्रवेश को निषेध करने के फैसले को महिला संगठनों ने अदालत में चुनौती दी थी। कोर्ट ने 3 फरवरी को राज्य सरकार से इस जनहित याचिका पर राय मांगी थी।
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दूसरी ओर हाजी अली ट्रस्ट ने कहा है कि हाजी अली दरगाह एक सूफी संत की कब्र है। इस्लाम में महिलाओं द्वारा किसी भी संत की कब्र पर जाना सही नहीं माना जाता है। इसलिए ही दरगाह पर महिलाओं का जाना निषेध किया गया है। जनहित याचिका डालने वाले राजू मोरे का कहना है कि हाजी अली की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार कब्र के अंदर किसी को नहीं दफनाया गया है। उन्होंने कहा कि मैंने दलील के रूप में उस वेबसाइट के प्रिंट आउट की कॉपी कोर्ट को दी है।