जैसा कि आप जानते ही हैं कि कई बार आग लगने से गरीब लोगों की झुग्गी-झोपड़ी जल जाती है और उन लोगों को फिर से उन्हें तैयार करना पड़ता है। बहुत से इलाके तो ऐसे हैं जिनमें आग लगने की इस प्रकार की घटनाएं बरसात के दिनों में शुरू होती हैं। ऐसे में फिर से अपनी झुग्गी-झोपड़ी बनना बहुत कठिन कार्य हो जाता है। बरसात के दिनों में घर में आग लगने की घटनाएं उत्तर प्रदेश के लखीसराय में अधिक देखने को मिलती हैं। इसलिए यहां के जिला प्रसाशन ने इस परेशानी को दूर करने के लिए एक नया फैसला लिया है और वह है अग्निरोधी झोपड़ी बनने का।
बीते 19 जून को यहां के कलेक्ट्रेट परिसर में अग्निरोधी झोपड़ी और साधारण झोपड़ी बना कर एक परीक्षण किया गया और इस पूरे परीक्षण की वीडियो रिकॉर्डिंग कर जिला प्रशासन की साइट पर तथा यू ट्यूब पर डाला गया ताकि अन्य लोग इस अग्निरोधी झोपड़ी बनाने का तरीका देख सकें और अपने लिए भी इस प्रकार की झोपड़ी बना कर आग से सुरक्षित रह सकें। इस परीक्षण में दिखाया गया है कि यह अग्निरोधी झोपड़ी आग से जलने में आधा घंटा लेती है जबकि साधारण झोपड़ी जल्द ही जल जाती है।
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वीडियो में बताई गई है यह तकनीक-
प्रशासन की तरफ से लोगों को यह तकनीक बताई गई है। “चिकनी मिट्टी को सुखाकर चूर्ण बनाकर छान लें। 10 किलो साफ पानी में 6 किलो मिट्टी घोलना है। इसमें 15 मिनट धान का पुआल भिगो कर धूप में सुखा दें। उसी तरह बांस या लकड़ी के फ्रेम के ऊपर गोबर-मिट्टी का लेप चढ़ा दें। अब फ्रेम पर पुआल को कस के बांधते हुए झोपड़ी तैयार करें।”
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किस प्रकार कार्य करती है यह अग्निरोधी झोपड़ी-
असल में धान की पुआल के अंदर सिलिका का नेचुरल कोट होता ही है जो कि अग्निरोधी होता है। इसके ऊपर मिट्टी का कोट हो जाने पर इस झोपड़ी की अग्निरोधक क्षमता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इस प्रकार से बनी इस झोपड़ी को जलने में करीब आधे घंटे का समय लगता है और इतने समय में कोई भी व्यक्ति आसानी से सुरक्षित बाहर निकल जाता है।