देश में रहने वाले किसी भी भारतीय ने कभी सपने में कल्पना भी नहीं की होगी कि हमारे देश में ‘भारत माता की जय’ बोलने पर इतना बड़ा विवाद कभी जन्म ले सकता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि पिछले काफी समय से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के ‘भारत माता की जय’ ना बोलने के बाद से यह मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। जिसको लेकर यूपी के सहारनपुर जिले के इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम ने एक फतवा भी कल जारी किया है। जिसमें उन्होंने भारत माता की जय के नारे को गैर इस्लामिक बताते हुए कहा है कि भारत में कोई भी मुसलमान भारत माता की जय ना बोले। उनके अनुसार इंसान ही इंसान को जन्म देता है तो भारत माता कैसे हो सकती है। ठीक उसी तरह फतवे में लिखा गया है कि जैसे मुस्लिम वंदे मातरम नहीं बोलते हैं, उसी तरह भारत माता की जय भी नहीं बोलेंगे। वहीं बता दें कि फतवा जारी होने के बाद से देश में बयानबाजियों का दौर शुरू हो चुका है।
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कई हिन्दू नेताओं की प्रतिक्रिया इस फतवे को लेकर आ रही है तो कई मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी है। ऐसे में देखने वाली बात ये है कि कहीं मुस्लिम समुदाय के लोग ही इस फतवे को सही नहीं मान रहे तो कहीं हिन्दू नेता इस फतवे के पक्ष में उतरे हैं। आज हम आपको इस फतवे को लेकर आ रही अलग-अलग बयानबाजियां बताने जा रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ-
दारुल उलूम के जारी किए गए फतवे को लेकर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धरती हमारी माता है। भारत माता की जय बोलना गर्व की बात है। वहीं ऐसे फतवे विनाश काले विपरीत बुद्धि की पहचान हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि भारत माता की जय को किसी दबाव से नहीं बल्कि स्वेच्छा से बोला जाना चाहिए।
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पूर्व आईपीएस किरण बेदी-
इस नारे का पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें इस नारे में किसी तरह का विरोधाभास नहीं दिखता। यह इंसान की आंतरिक भावना होती है जो दिल से महसूस की जाती है। ऐसे में ये भावना आपके भीतर हो भी सकती और नहीं भी।
स्वामी अग्निवेश-
स्वामी अग्निवेश इस फतवे के समर्थन में उतरे। उन्होंने इस फतवे को सही बताते हुए कहा कि किसी इंसान को भारत माता की जय बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। जो फतवा जारी किया गया है वह एकदम सही है।
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सुन्नी धर्म गुरु खालिद रशीद-
खालिद रशीद के मुताबिक इस मुद्दे को बहस का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और ना ही इस मुद्दे पर किसी तरह के फतवे को जारी करने की जरूरत थी। उनका कहना है कि मुस्लिमों ने भी इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था तो इस भारत माता की जय बोलने के नारे को जबरन मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि किसी के कहने पर कोई नारा लगाना मुनासिब नहीं, लेकिन मुस्लिम जयहिंद और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे पहले से लगाते भी आ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति –
निरंजन ज्योति, जो कि केन्द्रीय मंत्री भी हैं उन्होंने इस फतवे की निंदा करते हुए इसे देश के ‘शहीदों का अपमान’ बताया है। उनके मुताबिक ‘भारत माता की जय’ का नारा ना लगाना देश का बांटने की कोशिश है। हम पाकिस्तान में नहीं रह रहे हैं। ऐसे में देश के लिए जयकार करने में क्या समस्या है।
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शिवसेना के नेता प्रताप सरनाइक-
इस मामले पर शिवसेना नेता का जवाब सबको हिला देने वाला था। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम फतवा निकालने वाला है कौन। हम जिस धरती पर पैदा हुए हैं उसी को मां, अम्मी, माता, आई हर धर्म के अनुसार अलग-अलग नाम से पुकारते हैं। ऐसे में भारत में रहना है तो भारत माता की जय कहना जरूरी होगा। नहीं तो शिवसेना स्टाइल में उन लोगों को जवाब दिया जाय़ेगा।
जमियत उलेमा के अध्यक्ष अरशद मदनी-
इस फतवे को जमीयत उलेमा हिंद के महासचिव ने खारिज करते हुए कहा कि भारत माता की जय बोलने में मुस्लिमों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम भी भारत माता की जय बोल सकते हैं।
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विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन
विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री ने इस फतवे की निंदा करते हुए कहा कि दारुल उलूम की ऐसी विचारधारा ही आतंकवाद की जननी है। साथ ही यह फतवा सीधा प्रधानमंत्री के उस बयान को लेकर जारी किया गया है जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि धर्म को आतंकवाद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले ये वंदे मातरम का इसलिए विरोध कर रहे थे क्योंकि उसमें उन्हें मूर्तिपूजा की बू आती है। वहीं अब भारत माता की जय के नारे का इस बार ये इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इस नारे में भारत की विजय का संकल्प लिया जाता है। दारुल उलूम ने कहा है कि वह अल्लाह के अलावा किसी की विजय कामना नहीं कर सकते। ऐसे में अल्लाह की विजय का काम आतंकवादी कर रहे हैं। जिससे ये साफ होता दिख रहा है कि ये आतंकवाद के समर्थक हैं।
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तो सुना आपने किस तरह से देश में बयानबाजियों से माहौल गर्म है। फतवे के कोई समर्थन तो खिलाफ में दे रहा है अपने बयान। ऐसे में अब देखना ये होगा कि ये मुद्दा कब ठंडा पड़ता है या फिर अभी इस मुद्दे को और ज्यादा भुनाने की कोशिशें की जाएंगी।