वैसे तो देवी दुर्गा के बहुत से मंदिर अपने देश में हैं लेकिन कुछ मंदिर अपने आप में काफी विशेष हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे है, जो की मां दुर्गा का शक्ति पीठ है। वैसे तो सभी शक्ति पीठ अपने आप में विशेष महत्व रखते है। पर आज हम आपको जिस शक्ति पीठ के बारे में बता रहें हैं वहां की कुछ आश्चर्यजनक बातें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
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आज हम आपको बता रहें हैं मां मंगलागौरी मंदिर के बारे में जो की एक शक्ति पीठ है। इस मंदिर को पालनपीठ या पालनहार पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर बिहार के ‘गया’ शहर से कुछ दूरी पर स्थित भस्मकूट पर्वत पर बना है। मान्यता है कि इस पर्वत पर देवी सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था। इस मंदिर के मुख्य पुजारी लखन बाबा उर्फ लाल बाबा इस मंदिर के बारे में बताते हैं कि यह शक्तिपीठ कामरूप कामाख्या के समकक्ष ही है। कलिका पुराण में इस स्थान का जिक्र आया है और कहा गया है कि इस स्थान पर देवी सती का वक्ष स्थल गिर कर चट्टान के रूप में बदल गए थे और उस स्थान पर ही मां गौरी का नित्य निवास है। माना जाता है इस शिला को जो कोई स्पर्श करता है वह मुक्ति का सहज अधिकारी बन जाता है। पालनपीठ नामक इस शक्तिपीठ की एक मान्यता यह भी है कि इस स्थान पर आकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवित रहते हुए अपना श्राद्ध कर सकता है। इस स्थान पर जो कोई सच्चे मन से मां गौरी से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। इस शक्ति पीठ की एक ख़ास विशेषता यह है की इसके गर्भगृह में काफी अंधेरा रहता है पर इसके अंदर हमेशा एक दीपक प्रज्वलित रहता है। माना जाता है यह दीपक हजारों वर्ष से स्वयं ही प्रज्वलित है। नवरात्र के दिनों में बड़ी संख्या में भक्त लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।