देश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन आज हम आपके सामने जिस खबर का खुलासा करने वाले हैं उसको सुनकर आप सन्न रह जाएंगे। सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि शिक्षा के नाम पर कहीं ऐसा खिलवाड़ आपके बच्चे के साथ तो नहीं हो रहा। ये खबर हर उस माता-पिता के लिए है जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और उसके उज्जवल भविष्य के चलते उसे पढ़ाने के लिए स्कूलों में भेजते हैं। कई पैसे वाले अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलवाते हैं, लेकिन देश की आधी आबादी अपने बच्चों की शिक्षा के लिए आज भी सरकारी स्कूलों पर निर्भर है।
वैसे देश के सरकारी स्कूलों का हाल किसी से छिपा नहीं है, लेकिन फिर भी सरकार अपनी तरफ से सभी सुविधाएं और बच्चों को अच्छी व बेहतर शिक्षा देने का दावा करती रहती है, लेकिन आज की हमारी ये खबर सरकार के उन सब दावों की पोल खोल देगी। आज का ये मामला यूपी के झांसी के एक प्राइमरी स्कूल का है। अगर ये कहें कि यहां के टीचर्स को पढ़ाई से डर लगता है या फिर वह खुद अनपढ़ हैं तो गलत नहीं होगा। दरअसल उनको ना तो हिंदी ही सही से आती है और ना ही अंग्रेजी। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि इस स्कूल के हेडमास्टर को देश के राष्ट्रपति का नाम तक नहीं पता। ऐसे में आप खुद सोच सकते हैं कि ये टीचर कैसे स्कूल को बच्चों को पढ़ाते होंगे और बच्चे इनसे क्या सीखेंगे। एक न्यूज साइट की तरफ से किए गए सर्वे में यह बातें सामने आई हैं।
यूपी के झांसी से 15 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव बड़ागांव छपरा है, जिसके हेडमास्टर को सीबीआई की फुलफॉर्म तक का पता नहीं है। उन्हें लोकसभा के बारे में भी कुछ पता नहीं है, जबकि कुछ समय बाद उनकी रिटायरमेंट होने वाली है। वहीं जब वह इन सवालों के जवाब नहीं दे पाए तो इसके पीछे उन्होंने यहां के गांव में बिजली ना आने का तर्क दिया। उनके मुताबिक गांव में बिजली नहीं आती। जिसके कारण वह इन सब चीजों के बारे में नहीं जान पाते, लेकिन हैरानी तब और ज्यादा बढ़ गई जब वह यूपी के गवर्नर का नाम तक नहीं बता पाए। उनके मुताबिक वह 12वीं फेल और 10वीं पास हैं और स्कूल में सारे विषय पढ़ाते हैं। इस दौरान उनसे जब चंड़ीगढ़ लिखने के लिए बोला गया तो वह वो भी नहीं लिख पाए।
वहीं, यूपी के ही झांसी के पास दूसरे गांव गरौठा तहसील के कन्या विद्यालय का हाल बता दें। इस स्कूल की एक टीचर से जब झांसी के मेयर के बारे में पूछा गया तो उसने किरण वर्मा की जगह उनका नाम किरण बेदी बताया।
जानकारों के मुताबिक यूपी को मिलाकर पूरे देश में काफी ज्यादा पढ़े लिखे बेरोजगार नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। वहीं, बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ाने वाले 10वीं पास टीचरों को भी काफी अच्छी सैलरी मिल रही है। अब तक यूपी में दो लाख 32 हजार प्राइमरी स्कूलों में ऐसे टीचर्स तैनात हैं जिन्हें अच्छी तरह से अंग्रेजी में दिनों के नाम तक लिखने नहीं आते हैं। ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि सरकार दावे तो इतने करती है, अगर उन दावों को पूरा कर लिया जाए तो शायद देश के किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था का ऐसा हाल नहीं होगा।
आज हमने सिर्फ यूपी के कुछ स्कूलों के बारे में बताया है, लेकिन ऐसा हाल आपको हर राज्य में देखने को मिल सकता है। जिस पर सरकार को सख्ती से कदम उठाने की जरूरत है।