पूरा देश आज भी दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को नमन करता है। मिसाइल मैन के रूप में विख्यात डॉ. कलाम कला के अच्छे जानकार भी थे। इस बात का खुलासा धनबाद के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी विरेन्द्र ठाकुर के जरिए हुआ है। कलाम की ही प्रेरणा से प्रभावित होकर विरेन्द्र ठाकुर यूरोप की वुड कोलाज कलाकृति निर्माण में महारथ हासिल कर चुके हैं।
कैसे डॉ. कलाम ने इस इंस्पेक्टर के अंदर ढूंढ़ा छुपा कलाकार-
विरेन्द्र ठाकुर के अनुसार उनकी इस उपलब्धि के पीछे डॉ. कलाम की प्रेरणा है। 30 अप्रैल 2012 को जब पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बोकारो के दौरे पर आए थे तब उनकी नजर बोकारो स्टील प्लांट के गेस्ट हाउस में लगी एक वुड पेंटिंग पर पड़ी। उनको वह पेंटिंग बहुत अच्छी लगी और उन्होंने इसके कलाकार से मिलने की इच्छा जताई। डॉ. कलाम ने यूरोप के पाब्लों पिकासो जैसे उम्दा कलाकारों द्वारा शुरू की गई वुड कोलाज कलाकृति के बारे में विरेन्द्र को विस्तार से बताया और नाम दिया वुड कोलाज शेप। डॉ. कलाम को याद कर विरेन्द्र की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। डॉ. कलाम को महान इंसान बताते हुए विरेंद्र ने उनके जीवन चित्र पर वुड कोलाज बनाने का फैसला किया है।
डॉ. कलाम की प्रशंसा और प्रेरणा ने विरेन्द्र को बिना किसी प्रशिक्षण के सिर्फ अभ्यास के सहारे इस मुकाम तक पहुंचा दिया है। वह अपनी कला और साधना के माध्यम से पहचान खो रही इस कलाकृति को आम लोगों तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। वह महापुरुषों से लेकर देवी-देवताओं, झारखंड की कला-संस्कृति की अनोखी चित्रकारी वुड से बनाने में जुटे हैं। विरेन्द्र ठाकुर का बेटा भी डॉं. कलाम को अपना आदर्श मानता है। विरेन्द्र ठाकुर फ़िलहाल समाज सेवा और वुड पेंटिंग के क्षेत्र से ही जुड़े हैं