तमाम मुश्किलों और आर्थिक तंगी के बाद महज 6 साल की उम्र से ही जिम्नास्ट की प्रैक्टिस करने वाली दीपा करमाकर आखिर रियो फाइनल में पहुंच ही गई हैं। दीपा की उम्र केवल 22 साल की है। इस छोटी सी उम्र में दीपा भारत की पहली ऐसी जिम्नास्ट बन चुकीं हैं, जिसने रियो ओलंपिक फाइनल में अपनी जगह बनाई है।
दीपा त्रिपुरा की निवासी हैं और 6 साल की उम्र से ही जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस कर रही हैं। दीपा के कोच के मुताबिक जब दीपा उनके पास आई थी तो उसके पांव फ्लैट थे। पैरों के फ्लैट होने का मतलब है कि आप कभी एक अच्छे जिमनास्ट नहीं बन सकते। दीपा के पिता स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कोच थे और वह चाहते थे कि उनकी बेटी जिम्नास्ट बने। दीपा ने अपने पिता का सपना पूरा कर अपने पिता और देश का नाम भी गर्व से ऊंचा कर दिया है।
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दीपा ने पहले भी खेल जगत में नाम कमाया हुआ है। 2014 में हुए ओलंपिक में दीपा ब्रॉन्ज मेडल पाने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनी। इतना ही नहीं, साल 2015 में वर्ल्ड जिम्नास्टिक चैंपियनशिप के फाइनल में भी दीपा करमाकर ने भाग लेकर अपने हुनर को सबके सामने रखा, इस खेल में भाग लेने वाली दीपा पहली महिला थीं।
दीपा के इस मुकाम तक पहुंचने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन मन में अपने देश का नाम रोशन करने की कामना ने उन्हें इतना मजबूत बना दिया कि उन्होंने सभी परेशानियों का निडरता से सामना किया और आज वह रियो में जाकर देश का नाम रोशन कर रहीं हैं।