कारगिल विजय दिवस: जब सेना ने खदेड़ दिए पाकिस्तानी सैनिक और जीत लिया कारगिल

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एक योद्धा जो अपने स्वार्थ को त्यागकर मातृभूमि के लिए अपनी जान तक दे देता है, उसकी कुर्बानी याद कर आज भी आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन वीर जवानों को याद कर आप भी 17 साल पहले हुए इस युद्ध की कुछ झलकियों के बारे में जानें।

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साल 1999 में जब हमारे देश पर पाकिस्तान ने छिपकर वार करके हमारी जमीन को अपने अधिकार में करने की कोशिश की, तो हमारी भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस कोशिश को नाकाम करने में अपनी जान की बाजी लगा दी। पाकिस्तान के इरादे उस समय बिल्कुल सही नहीं थे, वह ना केवल हमारे देश की जमीन पर अपना कब्जा बनाना चाहता था, बल्कि वह देश की सुख शांति भंग करने की कोशिश में भी लगा हुआ था।
आज इस लड़ाई को 17 साल हो गए हैं। पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में जीत हमारी हुई।

इस जीत को पाने के लिए हमारे देश ने कई जांबाज सपूत खो दिए। इस युद्ध के दौरान कई मांओं की गोद, तो कई सुहागनों की मांग सूनी हो गई। इतना ही नहीं किसी ने अपने सिर से बाप का साया खो दिया तो किसी बहन ने अपना भाई खो दिया। लेकिन पाकिस्तान की इन नापाक कोशिशों ने हमें इतना मजबूत बना दिया कि आज हममें विश्व विजेता बनने का हौंसला हैं।

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आज का दिन यानी 26 जुलाई के दिन को, देशभर में कारगिल विजय दिवस के रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर युद्ध से जुड़ी कई ऐसे तथ्यों के बारे में बताया जाता है, जिसके बारे में जानकर हर भारतवासी को गर्व महसूस होता है।

सफल रहा ऑपरेशन विजय
26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय चलाया। जिसमें भारत की जमीन को घुसपैठियों से मुक्त कराया गया। इसी याद में 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस के नाम से मनाया जाता है।

कारगिल युद्ध के कुछ जांबाज

राइफलमैन संजय कुमार
पूरा शरीर खून से लथपथ होने के बावजूद राइफलमैन संजय कुमार रणभूमि छोड़ने को तैयार ना हुए और दुश्मनों से वह तब तक लड़ते रहे, जब तक प्वाइंट फ्लैट टाॅप दुश्मनों ने खाली नहीं कर दिया।

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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले इस वीर का जन्म उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के औरंगाबाद में 10 मई 1980 में हुआ था।

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एक फौजी बन देश की रक्षा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। फौजी बनने के लिए अपने देश के लिए प्यार होना, मातृभूमि की रक्षा करने का जूनुन मन में होना चाहिए। कारगिल युद्ध में शहिद हुए एक एक सैनिक के योगदान को कभी नहीं भूलाया जा सकता, उन सभी शहीदों को हमारा शत-शत नमन।

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Deepa
Deepahttp://wahgazab.com/
Born to 'READ' and 'WRITE' A journalism graduate from International Polytechnic for women. A young writer with the fond of writing over entertainment and socio-political issues in various verses.

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