भारत के मंदसौर शहर के पशुपतिनाथ मंदिर में आज भी 1947 के समय के मुहूर्त के हिसाब से ही आजादी का जलाभिषेक किया जाता है। आपको बता दें की 1947 की तिथि के हिसाब से इस वर्ष आजादी का दिन 10 अगस्त को पड़ रहा है इसलिए इस मंदिर में इस 10 अगस्त की सुबह 9 बजे से ही विशेष पूजा प्रारंभ की जाएगी। इस बारे में “ज्योतिष कर्मकांड परिषद” अपना एक अलग मत प्रकट करती है। इस संस्था का कहना है की “ज्योतिष के हिसाब से भारत देश की कुंडली में काल सर्प दोष है और इसको दूर करने के लिए ही तिथि के हिसाब से ही स्वतंत्रता दिवस को मनाया जाता है।” एक अन्य ज्योतिषी इस बारे में बताते हुए कहते हैं की “भारत 15 अगस्त 1947 की रात्रि 12 बजे आजाद हुआ था। उस समय की कुंडली के हिसाब से काल सर्प दोष सामने आता है। सीएक अलावा उस समय की कुंडली में शनि, केतू तथा राहू का भी वास है। अतः भारत सभी क्षेत्रों में संपन्न होते हुए भी यहां सूखे, भय तथा भूख की स्थिति बनी रहेगी। इस प्रकार के दोष का निवारण जलाभिषेक से होता है।”
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पंडित उमेश जोशी बताते हैं की “यदि राष्ट्र पर नकारात्मक शक्तियां सामूहिक रूप से हावी हो रहीं हों तो दुर्वाभिषेक से छुटकारा मिलता है। अतः हम लोग मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का दुर्वाभिषेक करते हैं।” आपको हम बता दें की ज्योतिष कर्मकांड परिषद संस्था में 500 से अधिक लोग हैं। ये सभी लोग पंडित तथा यजमान हैं। इस संस्था के लोग भारत की खुशहाली तथा तरक्की के लिए पशुपतिनाथ मंदिर में दुर्वाभिषेक करते हैं। उस समय रुद्राष्टक का पाठ भी किया जाता है। जिसमें भगवान शिव से सभी की उन्नति तथा खुशहाली की प्रार्थना की गई है। इस वर्ष 1947 की तिथि के अनुसार 10 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस आ रहा है। अतः पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर में 10 अगस्त के दिन सुबह 9 बजे से ही विशेष पूजा का कार्यक्रम प्रारंभ किया जायेगा।