नवरात्र चल रहें हैं और भक्त मां दुर्गा का पूजन करने के लिए बड़ी संख्या में मंदिरों में जुट रहें हैं। ऐसे में यदि कोई भक्त प्रसाद के रूप में अपनी जुबान काट कर देवी को अर्पित कर दे तो उसको क्या कहा जायेगा? भक्ति या अंधविश्वास। प्रश्न उलझा हुआ है और इसका जवाब लोगों की अपनी-अपनी मानसिकता पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें एक व्यक्ति ने देवी दुर्गा के मंदिर में अपनी जीभ काट कर चढ़ा दी। मंदिर में आने वाले अन्य भक्त इस दृश्य को देख कर हैरत में पड़ गए। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस खबर के बारे में।
सबसे पहले आपको बता दें की यह घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लख़नऊ के अंतर्गत आने वाले जानकीपुरम के पास मड़ियांव में घटित हुई है। यहां से कुछ दुरी पर स्थित गुडंबा निवासी मेवालाल ने इस घटना को अंजाम दिया है। असल में बीते बुधवार को रात के 2 बजे मेवालाल ने अपनी पत्नी से कहा कि वह कल अपने मामा के यहां मड़ियांव गांव में जा रहा है। अगली सुबह जब भक्त अहिरन टोला स्थित माँ दुर्गा मंदिर में पहुचें तो उन्होंने देखा की मंदिर में मेवालाल बेहोश होकर गिरा हुआ है तथा पास में ही उसकी कटी जीभ भी पड़ी हुई है।
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मंदिर का फर्श खून से लाल हुआ पड़ा था। इस दृश्य को देख कर लोग हैरत में पड़ गए। इस घटना की खबर आग की तरह चारों और फ़ैल गई और मेवालाल को देखने के लिए बहुत से लोग मंदिर में पहुंच गए। इस दौरान मेवालाल के परिजन भी मंदिर में आ गए तथा उन्होंने पूजा पाठ शुरू कर दिया। इस घटना की जानकारी जब पुलिस को लगी तो पुलिस ने तुरंत मोके पर पहुँच गई और उन्होंने मेवालाल को अस्पताल लेजाना चाहा लेकिन मेवालाल के परिजनों ने पुलिस को उसे ले जाने नहीं दिया। इन लोगों का कहना था कि उसने कई वर्ष पहले भी ऐसा किया था और कुछ समय बाद वह सही हो गया था। इस मामले में इंस्पेक्टर जानकीपुरम अमरनाथ वर्मा का कहना है की मेवालाल की हालत में सुधार है पर आस्था के चलते उसके परिजनों ने उसको अस्पताल नहीं ले जाने दिया था।