हमारा देश जितना बड़ा है उतने ही इसमें अलग-अलग रंग हैं। हमारे देश के हर कोने के लोगों की मान्यताएं और विश्वास अलग-अलग ही मिलेंगे। इनमें से कुछ का वैज्ञानिक आधार होता है और कुछ का नहीं। फिर भी काफी लोगों को आंख बंद कर के इस प्रकार की मान्यताओं को मानते देखा जा सकता है। हम यहां आपको कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि भूतों की भी खरीद फरोख्त होती है। इनके दिमाग में अन्धविश्वास किस कदर हावी है इसकी बानगी बगीचा थाना क्षेत्र के सरबकोबो गांव में देखने को मिली।
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यहां सांपों और मानव तस्करी के साथ-साथ भूतों की तस्करी भी की जाती है। सरबकोबो गांव में भूत खरीदे और बेचे जाते हैं। हालांकि इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को आम जनता को गुमराह करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। जशपुर के बगीचा थाना क्षेत्र के जांच अधिकारी आर के कुलदीप को सूचना मिली थी कि सरबकोबो गांव में भूत की खरीद-फरोख्त होती है। पुलिस ने मौके पर दबिश देते हुए नारायण यादव समेत दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
जांच अधिकारी की मानें तो आरोपी नारायण यादव मटियाभूत बेचने की बात कह कर लोगों को ठगने का काम करता है। जबकि मटिया भूत जैसी कोई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लोगों का सिर्फ अंधविश्वास ही है जो उन्हें ऐसे पाखंडियों के पास खींच लाता है। लोगों की यह गलत फहमी है कि मटियाभूत जैसी कोई चीज है जो लोगों को मालामाल करती है। जांच निरीक्षक की मानें तो यह लोगों को ठगने का एक तरीका था जिसको अब बंद करा दिया गया है। पर सवाल यह है कि आखिर कब तक लोग इस प्रकार से ठगे जाते रहेंगे।
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वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास का फैलता मकड़जाल-
आज के वैज्ञानिक युग में भी लोग अंधविश्वास के मकड़जाल में बुरी तरह फंसे हुए हैं। बताया जा रहा है कि सरबकोबो गांव में दो दिन पहले नारायण यादव नामक व्यक्ति के पास झारखंड के दो लोग आए और भूत खरीदने की बात करने लगे। दरअसल, इन लोगों ने सुन रखा था कि नारायण यादव मटियाभूत बेचता है जो लोगों को मालामाल कर देता है। स्थानीय व्यक्ति मोती लाल जैन की मानें तो मटियाभूत करीब तीन फिट का होता है जो नाचते हुए आता-जाता है और जिसे खरीदना हो उसे यह मटियाभूत बेच दिया जाता है। भूत बेचने वाले नारायण यादव का कहना है कि दुनिया में भूत होता है। भूत का कोई रंग-रूप नहीं होता है। इसलिए हम उसे देख नहीं पाते।