आज पूरी दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश बचा हो जहां जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न होता हो। हम यह कह सकते हैं कि पूरी दुनिया आज जुगाड़ टेक्नोलॉजी का लोहा मानती है और अगर बात हो भारत की तो इस टेक्नोलॉजी में चार चांद लग जाते हैं। भारत में जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर सबसे अधिक शोध यहां के कम पढ़े लिखे और छोटे गांव, छोटे शहरों में रहने वाले महत्वाकांक्षी लोगों द्वारा हुआ। आज भी आप बहुत सी चीजें जुगाड़ टेक्नोलॉजी से चलते हुए भारत में देख सकते हैं। दुनियाभर में कॉमन हो चुकी जुगाड़ टेक्नोलॉजी से एक भारतीय मूल के डॉक्टर ने 2 साल के छोटे बच्चे की जान बचाई है।
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न्यूयॉर्क में रहने वाले भारतीय मूल के डॉक्टर खुर्शीद गुरु कनाडा की फ्लाइट से 18 सितम्बर को अमेरिका जा रहे थे। उन्होंने वहां 2 साल के एक बच्चे को परेशानी में देखा। वह रो रहा था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। दूसरी ओर बच्चे के माता, पिता ने उसकी दवा को गलती से चेकिंग लगेज में डाल दिया था, जो कि कार्गो शिप के अंदर रख दिया गया था।
कैसे बनाया जुगाड़-
डॉक्टर गुरु ने बताया कि बच्चे को सर्दी-जुकाम हो गया था। हम तीन-चार घंटे से फ्लाइट में थे। ठंड की वजह से बच्चे के कान बंद हो गए थे और उसकी रोते-रोते बुरी हालत हो गई थी। प्लेन के ऊपर जाने से ऑक्सीजन कम हो जाती है जो बच्चे के लिए खतरनाक थी। बच्चे को ऑक्सीजन के साथ अस्थमा की दवाई की भी जरूरत थी, जबकि प्लेन में सिर्फ बड़े लोगों के लिए इनहेलर मौजूद था जो बच्चे को फिट नहीं हो रहा था।
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जम्मू कश्मीर के मूल निवासी डॉक्टर गुरु ने बच्चे की जान बचाने के लिए जुगाड़ लगाते हुए बोतल को काट कर एक नेबुलाइजर जैसी डिवाइस बनाई। बच्चे को ऑक्सीजन और अस्थमा की दवाई साथ-साथ दी और बच्चे की जान बचाने में कामयाब रहे।
डॉक्टर गुरु ने बताया कि बच्चे के मुंह के पास इनहेलर ले जाने पर उसने हटा दिया। फिर एक कप में छोटा सा छेद करके डिवाइस को बच्चे के मुंह की तरफ कर दिया। आधे घंटे में दो बार इलाज करने के बाद बच्चे की हालत में सुधार हो गया। इस प्रकार से एक बार फिर से जुगाड़ टेक्नोलॉजी में भारत ने बाजी मार ली। साथ ही यह भी बता दिया कि भारतीय लोग सिर्फ कुछ सुविधाएं लेने के लिए ही जुगाड़ का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि जुगाड़ से वे किसी की जान तक बचा सकते हैं।