नेस्ले एक ऐसा जाना माना ब्रांड है जिसके उत्पादों ने पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना रखा है, लेकिन आजकल ऐसा लगता है कि मानों नेस्ले के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। नेस्ले की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद जहां नेस्ले का मैगी विवाद शांत हुआ था कि अब उनके एक अन्य उत्पाद ने नेस्ले के लिए नए विवाद को जन्म दे दिया है।
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जी हां, नेस्ले की मैगी विवाद के बाद अब पास्ता पर विवाद खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश की एक सरकारी प्रयोगशाला ने नेस्ले के पास्ता उत्पाद के नमूने का परीक्षण किया है, जिसमें सीसे की मात्रा स्वीकार्य सीमा से ज्यादा पाई गई है। वैसे नेस्ले का कहना है कि इस बारे में अभी तक उसे उत्तर प्रदेश के संबद्ध प्राधिकरणों या एफएसएसएआई से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है। उन्होंने सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को देखा है जिसमें यह दावा किया गया है कि पास्ता में सीसे की मात्रा अधिक पाई गई है। जिसके बाद से ही वह मामले की जांच में जुट गए हैं।
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अपने उत्पाद को खाने के लिहाज से सुरक्षित बताते हुए नेस्ले का दावा है कि ‘मैगी पास्ता 100 फीसदी सुरक्षित है। इस प्रकार की रिपोर्ट से होने वाले भ्रम को लेकर उन्हें काफी अफसोस है। साथ ही उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा कोई भी तैयार उत्पाद को बनाने में इस्तेमाल कच्चे माल की मैन्युफेक्चरिंग प्रक्रिया के हर चरण के दौरान कड़ा परीक्षण किया जाता है।’ वह जल्द से जल्द इस विवाद मामले के समाधान के लिए अधिकारियों के साथ काम करेगी।
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक मऊ में 10 जून को नेस्ले के वितरक श्रीजी ट्रेडर्स से पास्ता के नमूने लिए गए थे। उन नमूनों को जांच के लिए लखनऊ स्थित सरकारी प्रयोगशाला भेजा गया था। रिपोर्ट 2 सितम्बर को आई, जिसमें इन उत्पादों के नमूने जांच में असफल रहे। इनमें सीसे की मात्रा छह पीपीएम पाई गई जबकि स्वीकार्य मात्रा 2.5 पीपीएम है।