सर्दी भले ही दस्तक दे चुकी है, पर इसके साथ ही हमारी धरती भी खतरे के निशान की आहट देती हुई आगे बढ़ रही है। जिसके परिणाम काफी खतरनाक हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि अब तक लिए गए आंकड़ों से यह पता चला है कि 2015 इतिहास का सबसे गर्म साल होने जा रहा है। इस साल न सिर्फ धरती और वायुमंडल का, बल्कि समुद्र का तापमान भी सबसे ज्यादा बढ़ा। यह साल सबसे ज्यादा तापमान के मामले में भी आगे रहा है और औसत तापमान के मामले में भी।
Image Source: http://www.technocrates.org/
1993 से लगातार उपग्रह के जरिए समुद्र के जल स्तर का अध्ययन किया जा रहा है, जिससे पता चला है कि समुद्र का जल स्तर इस साल जितना है उतना इस पूरे दौर में कभी नहीं रहा। जिसके कारण ध्रुवीय इलाकों व अन्य ठंडे क्षेत्रों के हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं। यह जरूर कहा जा सकता है कि 2015 अल नीनो का साल था। इसलिए भी इस साल तापमान कुछ ज्यादा बढ़ा, लेकिन धरती लगातार गर्म होती जा रही है। यह इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि पिछले पांच साल का औसत तापमान उसके पिछले पांच साल के औसत तापमान से ज्यादा रहा है।
इसके साथ ही इस साल कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर से काफी ऊंचा बढ़ा है। पिछले साल यह 400 पीपीएम के स्तर पर था, जो इस साल बढ़कर 481 पीपीएम तक पहुंच गया है। यह जाहिर करता है कि स्थितियां लगातार बद से बदतर हो रही हैं।
2014 के बने आंकड़ों के अनुसार इस साल रिकॉर्ड टूटने की संभावना बढ़ती नजर आ रही है। ग्लोबल वार्मिंग में ठहराव आने की स्थिति बनी हुई है। 2000 के बाद बने सबसे गर्म साल के आंकड़ों के हिसाब से इस साल के आकड़े ग्लोबल वार्मिंग की भयावहता को दर्शाने के लिए काफी हैं। ये परिणाम जलवायु की दृष्टि से काफी चिंताजनक परिणाम के संकेत दे रहे हैं। जो इस धरती के लिए खतरे का आगाह करा रहे हैं।