बड़ी पटनदेवी मंदिर में मौजूद कामधेनू गाय के दर्शनों से भक्तो की मनोकामनाएं होती है पूर्ण

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कामधेनू गाय के बारे में तो आपने सुना ही होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामधेनू गाय समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी। यह एक असाधारण तथा दिव्य गाय थी जो देवताओं की हर इच्छा को पूरी करती थी। आज हम एक ऐसी ही गाय के बारे में आपको बता रहें हैं जो बिहार की राजधानी पटना में है। यह गाय प्रतिदिन 10 से 12 लीटर दूध तो देती ही है साथ ही यह लोगों की इच्छाओं को भी पूर्ण करती है।

आपको बता दें कि यह कामधेनू गाय पटना सिटी के बड़ी पटनदेवी मंदिर में है। यह मंदिर पटना में एक शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। समय समय पर यहां भारी मेला लगता है तथा नवरात्रों में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। मंदिर में आने वाले आम भक्तों सहित बिहार के बड़े-बड़े अधिकारी भी इस गाय के प्रति अपनी अथाह श्रद्धा रखते हैं। ये लोग जब कभी भी मंदिर में देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं तो इस गाय का दर्शन भी जरूर करते हैं।

बड़ी पटनदेवी मंदिरImage source:

जन्म के एक वर्ष बाद ही दूध देना किया था शुरू

बड़ी पटनदेवी मंदिर के महंथ अरविंद ततः विकास गिरी जी कहते हैं कि इस गाय का जन्म साल 2011 में इसी मंदिर के प्रांगण में हुआ था। इस गाय को जन्म देने के बाद में इसकी मां का निधन हो गया था। तब से मंदिर के प्रधान महंथ जी ने इसका पालन पोषण अन्य गायों के साथ ही किया था। यह गाय जन्म के महज एक वर्ष बाद ही अचानक दूध देने लगी थी। एक वर्ष का होने के बाद इसके थनों से अपने आप दूध टपकना शुरू हो गया था। प्रधान महंथ जी ने इस घटना को देवी का ही आशीर्वाद माना और आज भी देवी के लिए खीर का प्रसाद इसी गाय के दूध से बनाया जाता है। मान्यता है कि यह गाय भक्तों की इच्छाएं भी पूरी करती है इसलिए मंदिर में बहुत से भक्त इस गाय के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं।

बड़ी पटनदेवी मंदिरImage source:

भक्त खिलाते हैं गुड़ तथा केला  

मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को इस गाय की सेवा का मौका नहीं दिया जाता है। इस गाय को मंदिर के पिछले भाग में रखा जाता है। पुजारी विकास गिरी बताते हैं कि सेवा मंदिर के पुजारी ही करते हैं तथा इसको गुड़ और केला खिलाते हैं। मंदिर में आने वाले विशिष्ट भक्त भी इस गाय को गुड़ तथा केला खिलाते हैं। बिहार के पूर्व डीजीपी से लेकर पटना शहर की मेयर भी इस गाय के दर्शन करने के लिए मंदिर में आती रहती हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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