कुछ लोग जरूरतमंद लोगों के जीवन में उजाला करने के लिए कुछ ऐसा करते हैं जो अपने आप में एक मिसाल बन जाता है। इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसे स्कूल के बारे में जहां न तो बच्चों से फीस ली जाती है और न ही उनकी कोई हाजरी लगाईं जाती है। इस स्कूल में क्लास एक से लेकर कॉलेज तक की उच्च शिक्षा दी जाती है। यह स्कूल अपने आप में अनोखा है। यहां पर न तो कोई दीवार है और न ही कोई ईमारत। यहां खुले आकाश के नीचे सभी वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा दी जी रही है। वर्तमान समय में इस विद्यालय में 500 से ज्यादा विद्यार्थी अपने भविष्य को उज्जवल बना रहें हैं।
दोपहर से लगता है स्कूल
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आपको बता दें कि इस विद्यालय की नींव आज से 8 वर्ष पहले डॉ. ललिता शर्मा ने रखी थी। दोपहर के 3 बजे से इस स्कूल का संचालन शुरू हो जाता है और सभी विद्यार्थी खुले मैदान के नीचे इकट्ठे हो जाते हैं और शाम तक यहां पढ़ाई करते हैं। डॉ. ललिता शर्मा स्कूल में पढ़ रहें हर ग्रुप के बच्चों को जाकर पढ़ाती हैं। वे स्कूल के फार्म भरवाने से लेकर बच्चों की परीक्षा तक में मदद करती हैं। जिन बच्चों ने शुरुआत में इस स्कूल में प्रवेश लिया था वे अब उच्च शिक्षा ले चुके हैं और यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने में मदद करते हैं। डॉ. शर्मा कहती है कि इस कार्य में उस सासू मां भी उनकी मदद करती हैं। वे बच्चों को पहाड़े याद कराने में काफी मदद करती हैं। इस प्रकार से यह स्कूल पिछले 8 वर्ष से बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने में लगा हुआ है।